Page 1 - Microsoft Word - TOPIC-3 ARYABHATTA Notes
P. 1

SAI International School



                                                                                                   CLASS -VIII

                                                                       SUB-Sanskrit (Notes)



                                                                 आयभटः




                    पाठ का प रचय (Introduction of the Lesson)
                                  ू

                                                                                                  े

                                                           ु
                                           ै
                    भारतवष की अम  िनिध ह-  ान-िव ान की सदीघ पर रा। इस पर रा को स ोिषत करन वाल         े


                                                                                               े
                      ु

                                                                                 े
                                            े
                                                                                      े
                     ब  मनीिषयों म अ ग  थ-आयभट। दशमलव प ित का  योग सबस पहल आयभट न िकया,
                                                                      े
                         े
                                                                 ं


                    िजसक कारण गिणत को एक नई िदशा िमली। इ  एव इनक  वितत िस ा ों को त ालीन
                                                                            े
                                                      ु
                                         े
                                                                                े
                     िढ़वािदयों का िवरोध झलना पड़ा। व त: गिणत को िव ान बनान वाल तथा गिणतीय गणना प ित

                                                                   े

                                                              े
                                                                                           े
                                                                     े

                     े
                    क  ारा आकाशीय िप ों की गित का  वतन करन वाल य (आयभट)  थम आचाय थ। आचाय

                                    ु

                                                      ु
                                                                ै
                            े
                                             ्
                                   ै
                    आयभट क इसी वद  का उदघाटन   त पाठ म ह।

                                  ं
                    पाठ-श ाथ एव सरलाथ
                                                           ं
                                                                  ं
                                            ू
                                       े

                                                                                               ं
                                                                                                      े
                         ू
                                                                                           े
                                   ्

                                                                                   े
                    (क) पविदशायाम उदित सयः पि मिदशाया च अ  ग ित इित   त िह लोक। पर न अनन
                                                                                           े

                                                                 ृ
                                                        ू
                                                                                             ू
                                                                                       े
                                     ू
                    अवबो म   य य  गितशील इित। सय ऽचलः पिथवी च चला या  कीय अ  घणित इित
                                                                                        ्
                                                                                              ्
                                                          ं
                                                                    े
                          ं
                            ु

                                                                 े
                    सा त स थािपतः िस ा ः। िस ा ोऽय  ाथ न यन  विततः, स आसीत महान गिणत ः

                                                                                      े
                                                                                                    े
                                         ृ


                                                         े
                     ोितिव  आयभटः। पिथवी   थरा वतत इित पर रया  चिलता  िढः तन   ािद ा। तन

                          ं
                                                                       ं
                                                   ्
                                         ं
                                                                                             ्
                                                                                ु
                    उदा त यद ्  गितशीलाया नौकायाम उपिव ः मानवः नौका   थरामनभवित, अ ान च पदाथान          ्
                                                                     ्
                                                                                       ृ
                                                            ं
                              ्
                                                              ृ
                                               े
                    गितशीलान अवग ित। एवमव गितशीलाया पिथ ाम अव  थतः मानवः पिथवीं
                                    ू
                                                             े

                                              ्
                                                           ्
                            ु
                      थरामनभवित सयािद हान च गितशीलान वि ।
                                                                                ं

                               े

                                                                            े
                                                                       ै
                                                   ं
                                                                                                ्
                                             ै
                    श ाथ : उदित-उदय होता ह। अ  ग ित-अ  हो जाता ह। लोक-ससार म। अवबो म-समझन              े
                              े
                                                                                                े
                                                                                                     े
                    यो , जानन यो , जानना चािहए। अचलः-  थर, गितहीन। चला-अ  थर, गितशील।  कीय-अपन।
                                                                                                 े
                          ु
                       े
                                             ै
                                        ू
                                                                  ु
                                                      ्

                                                                                 ँ
                                  ू
                    अ - धरी पर। घणित-घमती ह। सा तम-इस समय। स थािपतः- भली-भाित  थािपत।  ाथ न-


                                                           ्

                                                                                 े
                    सव थम  विततः- ार  िकया गया।  ोितिवद- ोितषी।  चिलता-चलन वाली।  िढः- चिलत  था,
                                                                               ै
                                                        ्
                     रवाज।   ािद ा-ख न िकया। उदा तम-उदाहरण िदया। उपिव :-बठा  आ। अवग ित-समझता
                        े
                                  ै
                     ै
                    ह। वि -जानता ह।
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