Page 2 - Microsoft Word - TOPIC-2 KAHA RAKHYATI KAHA NOTES
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               सरलाथ : ( ी  ऋत म शाम को िबजली क न रहन पर भयानक गम  स द:खी वभव घर स िनकलता ह।)
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                                                                      े
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               वभव – अर परिम र!  ा तम भी िबजली क अभाव (न रहन) स परशान बाहर आए हो?
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                                                                          ू
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               परिम र – हा िम ! एक ओर स भयानक गम  का समय ह और दसरी ओर िबजली की कमी ह पर                  ु
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               बाहर आकर दखता   िक हवा की गित भी परी तरह स  की  ई ह। सच ही कहा गया ह-
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               सारा ससार हवा स ही सास ल रहा ह, सारी दिनया (हवा स ही) चतना य  ह। इसक िबना  ण भर भी
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               िजया नहीं जाता ह, हवा सबस अिधक म वान (महगी) ह|
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                                                                                                       ु
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               िवनय – अर िम ! शरीर स न कवल पसीन की बद ब   मानो पसीन की धार बहती ह। माननीय श
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               जी क  ारा िलखा गया यह  ोक याद आ रहा ह।
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               तपत  ए वाय क  हार स परशान लोगों को आकाश म बादल, पिलस िवभाग क लोगों की तरह (उिचत)
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                                    े
               समय पर नहीं िदखाई दत ह।
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               श ाथ :  ी तौ-गम  क मौसम म। िवदयदभाव-िबजली क न होन पर।  च -उ णा-तज गम  स।
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               िन ामित-िनकलता ह। पीिडतः-परशान। एकतः-एक ओर।  च ातपकाल:-तज गम  का समय।

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               अ तः-दसरी ओर। वायवगः-हवा का झोंका। सवथा-परी तरह स। अव  ः- क गया ह।  ािणित- ाण
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               (सास) लता ह। िन खला-सारी। चत मयी-चतना स य । जी त-िजया जाता ह। सवाितशाियम ः-सबस                े
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               अिधक म वान।  दिब वः-पसीन की बद।  दधाराः-पसीन की धराए।   व  -बहती ह। आयाित-
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               आता ह। त ः-तप  ए। वाताघातः-हवा क झोंको स। नभिस-आकाश म। आरि िवभागजनाः-पिलस
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               िवभाग क लोग। समय-समय पर।    -िदखाई दत ह।
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               (ख) परिम र – आम अ  त व तः एव
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               िनदाघतापत  , याित ताल िह श ताम।
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               पसो भयािदत व,  दव जायत वपः॥
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                                                              ू
                                                                                         ै

               जोसफः – िम ािण य -त  ब भिमकभवनाना, भिमगतमागाणाम, िवशषतः मटोमागाणा,
                                                                                           े
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                                                                                       े
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                                                                    े

                                                                                ्
                                                                                                          ं
                            ू
               उप रगिमसतनाम माग ादीना िनमाणाय व ाः क  । तिह अ त िकमप त अ ािभः? वय त                         ु
                    ृ
               िव तव ः एव-
                       ु
                            ृ
                  े
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                              े
               एकन श व ण द मानन विनना।
                                    े
                                  ु
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                          ं

               द त त न सव कप ण कल यथा॥
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