Page 6 - LESSON NOTES - TOPI SHUKLA - 3
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दीवार खड़ी न कर सकी। टोपी ा ण प रवार स होत ए भी इ न की दादी स गहरा
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लगाव रखता था। इसिलए पाठ म कहा भी गया ह
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की ‘ म न जान जात-पात, म जान खचड़ी भात’ ।
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8. एक ही क ा म समझदार छा क दो बार फ़ल हो जान स उसकी मानिसकता पर बरा
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असर पड़गा और ऐसा ही टोपी क साथ भी आ। ऐस म उसक प रवारवालों को चािहए
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था िक व टोपी स सहानभित रख औरउसका उ ाहवधन कर तािक टोपी सदम स े
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बाहर आ जाए। परत उसकी तलना उसक बड़ और छोट भाइयों स की जान लगी और
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वह मज़ाक का पा बन गया। दसरी तरफ िश कों और सहपािठयों का बताव भी
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उसकी तरफ़ िन ा क ही था। दखा जाए तो जब हमारा कोई अपना फ़ल हो जाता ह ै
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तो हम दखी हो जात ह परत दसरों क फ़ल हो जान पर उसका मज़ाक उड़ाना ल
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होती इसािनयत की तरफ़ इशारा करती ह।