Page 5 - LESSON NOTES - TOPI SHUKLA - 3
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                    क साथ ही रहना ह तो उनस दो ी करना टोपी क िलए अ ा होगा। यह बात टोपी को
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                                                                     े
                                                                              े
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                    ब त बरी लगी और ऐसा लगा जस यह बात उसक िदल क आर-पार हो गई हो। और
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                                                                   े
                    उसन उसी समय कसम खाई िक इस साल उस टाइफ़ाइड हो या टाइफ़ाइड का बाप,
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                    वह पास होकर ही िदखाएगा।  पर  साल क बीच म ही चनाव आ गए। टोपी क िपता
                                                          ु
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                                                                      े
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                    डॉ र भग नारायण, नील तल वाल, चनाव लड़न क िलए खड़ हो गए। अब िजस घर म
                                                                                           ै
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                                                                              ै
                    कोई चनाव क िलए खड़ा हो, उस घर म कोई पढ़-िलख कस सकता ह? वह तो जब
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                                                                                        े
                                                                                          े

                                                                    ं
                    डॉ र साहब चनाव हार गए तब घर म थोड़ी शाित  ई और टोपी न दखा िक उसकी
                                                                                       ै
                                                                      ु

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                    परी ा को  ादा समय नहीं रहा ह। वह पढ़ाई म जट गया। पर  जसा वातावरण टोपी
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                                                                    ै

                    क घर म बना  आ था ऐस वातावरण म कोई कस पढ़ सकता था? इसिलए टोपी का
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                                                                                   े
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                    पास हो जाना ही ब त था। टोपी क दो साल एक ही क ा म रहन क बाद जब वह पास
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                                                                              े
                                                                                ं
                     आ तो उसकी दादी बोली िक वाह! टोपी को भगवान नजर-बद स बचाए। ब त अ ी

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                    र ार पकड़ी ह। तीसर साल पास  आ वो भी तीसरी  णी म, चलो पास तो हो गया।
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                    कछ  रणीय िबदु –
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                1.    पाठ ‘ टोपी श ा’ क लखक राही मासम रज़ा ह।
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                2.   टोपी श ा का परा नाम बलभ  नारायण श ा ह और इसक िपताजी नीली तल वाल                     े
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                    डॉ र भगनारायण श ा  ह।

                                                                                                       ै
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                3.    इ न  का  परा  नाम  स द जरगाम  मरतज़ा  इनक  िपताजी  स द  मरतजा   सन
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                    कल र थ।

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                                                                                    े
                4.     इ न  म  म  प रवार  का  सद   था  ।  उसक  दादा  प   मौलवी  और  क र
                                                                                                    े
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                    मसलमान  थ।  इ न  क  िपता  भी  मौलवी  थ।  परत  इ न  की  दादी  गान-बजन  को
                    ब त मह  िदया करती थी।

                                                                                     े
                                                                                             ु
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                5.  टोपी िह द प रवार का था। उनक घर मन पि मी सभयता का  वश हो चका था और
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                    उसकी दादी सभ ादवी बड़ी ही स  िमज़ाज की थीं ।

                                                                                                   ू
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                                                                                    े

                                                                                                        े
                6.  टोपी क ा नवीं म दो बार फ़ल  आ। िजस वजह स घरवालों क साथ-साथ  ल क
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                    िश क और छा  वहीद न  रसज़ म वह तीर मारा िक टोपी िबलकल िबलिबला उठा
                                                                                      ु

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                    “बलभ र  ! अब तो हम लोगन म का घसता ह। एडथ वालन स दो ी कर। हम लोग तो
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                                                            े
                                          ु

                    िनकल जाएग, बाकी तह त उ ीं सभन क साथ रह को  ई ह।”
                                                                            Z

                                                                                            े
                                                                                          े
                                                                                  े
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                     ं
                7.सा दाियक  सदभkव  हत  इ न  और  टोपी  की  दो ी  आज  क  जमान  क  िलए  ब त
                                                      े

                                                             े
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                                ै

                                                                     ू
                                                                                    े
                    आव क ह  ोंिक िवरोधी धम  क होन क बावजद भी धम उनक दो ी म कभी कोई
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