Page 4 - LESSON NOTES - TOPI SHUKLA - 1
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इ न की दादी मौत क नजदीक थी इसिलए शायद उ यह याद नहीं रहा िक अब
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उनका घर कहा ह। उनक सभी मायक वाल अब कराची म ह और उनक मायकक क घर
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का सर ण हो चका ह। वह बनारस क 'फातमन' म दफ़न की गई ोंिक मरतज़ाा सन
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यानी इ न क िपता की पो गग उन िदनों वहीं थी। जब इ न की दादी का दहात
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आ उस समय इ न ल गया आ था।
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इ न को अपनी दादी स ब तत ादा ार था। ार तो उस अपन अ , अ ी, बड़ी
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बहन और छोटी बहन नज़हतत स भी था पर दादी स वह सबस ादा ार िकया
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करता था। अ ी तो कभी-कभार इ न को डाट दती थी और कभी-कभी तो मार भी
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िदया करती थी । अ भी घरर को ायालय समझकर अपना फसला सनानन लगत थ।
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बस एक दादी ही थी िज ोंन कभी भी िकसी बात पर उसका िदल नहीं दखायाा था । वह
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रात को भी उस बहराम डाकक, अनार परी, बारह बज, अमीर हमज़ा, गलबकावलीी,
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हाितमताई, पच फ ा रानी की कहािनया सनाया करती थी । इ न की दादीी पूरब की
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भाषा म इ न को कहानी सनात ए कहती थी िक जब सारा ससार सोता ह तब
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परम र जागता ह । इ नन की दादी की बोली टोपी क िदल म उतर गईई थी, उस भी
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इ न की दादी की बोली ब तत अ ी लगती थी । टोपी की मा और इ न की दादी
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की बोली एक जसी थी। टोपीी को अपनी दादी िबलकल भी पसद नहीं थी। उस तो
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अपनी दादी स नफ़रत थी। वह पता नहीं कसी भाषा बोलती थी । टोपी कोो अपनी दादी
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की भाषा और इ न क अ की भाषा एक जसी लगती थी ।