Page 2 - LESSON NOTES - AB KAHAN DUSRO KE DUKH SE DUKHI HONE WALE - 2
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                    जनक बात को सुन कर जवाब  दया  क न तो वह अपनी मज  से क ा बना है और न ही नूह
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                    अपनी  मज   से  इसान  बना  है।  िजसने  भी  हम   बनाया  है  वो  सबका  मािलक  तो  एक  ही
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                    है।लेखक इन पंि य  क मा यम से कहना चाहता है  क उस ई र ने हम सभी  ाणधा रय
                    को एक ही िम ी से बनाया है। य द सभी से  ाण िनकल कर वािपस िम ी बना  दया जाए

                    तो  कसी का कोई िनशान नह  रहेगा िजससे पहचना जा सक  क कौन सी िम ी  कस  ाणी
                                                                            े
                    क  है। भाव यह  आ क  लेखक कहना चाहता है  ि  को अपने  ि  व पर घम ड नह

                    करना  चािहए   य  क  यह  कोई  नह   जानता  क   उसम    कतनी  मनु यता  है  और   कतनी
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                    पशुता। नूह ने जब क े क  यह बात सुनी  क िजसने भी हम  बनाया है वो सबका मािलक तो
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                    एक ही है।तो वह ल ब समय तक अपनी मूख ता पर रोते रहे। उ ह  महाभारत का वह दृ य
                    याद आ गया जहाँ एक क ा (जो यमराज  थे) युिधि र का अंितम समय तक साथ िनभाता
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                    नजर आता है जब क बाक  सभी पा डव  और  ौपदी ने उनका साथ छोड़  दया था।


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                    ‘कई सालों स बड़-बड़  िब र ----------------सबको बनत काम I ‘
                          लेखक  कहता  है   क  जब  पृ वी  अि त व  म   आई  थी,  उस  समय  पूरा  संसार  एक
                                                                   ु
                    प रवार क  तरह रहा करता था ले कन अब इसक टकड़  हो गए ह  और सभी एक-दूसर से दूर
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                                                                                           े
                    हो गए ह ।जैसे-जैसे जनसं या बढ़ रही है वैसे-वैसे समु  अपनी जगह से पीछ हटने लगा है,
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                    लोग  ने पेड़  को काट कर रा ते बनाना शु  कर  दया है।  द ू षण इतना अिधक फल रहा है
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                     क उससे परशान हो कर पंछी बि तय  को छोड़ कर भाग रहे ह । भूक प, सैलाब, तूफ़ान
                    और रोज नई बीमा रया I न जान और   या- या ! ये सब मानव  ारा  कित क साथ  कये
                                                                                              े
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                    गए छेड़-छाड़ का नतीजा है।  कित एक सीमा तक ही सहन कर सकती है।  कित को जब
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                    गु सा आता है तो  या होता है इसका एक नमूना कछ साल पहले मुबई म  आई सुनामी क
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                     प म  देख ही चुक ह । कई साल  से बड़े-बड़े मकान  को बनाने वाले िब डर मकान बनाने क
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                    िलए समु  को पीछे धकल कर उसक  जमीन पर क ज़ा कर रहे थे।
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                          बेचारा समु  लगातार िसकड़ता जा रहा था। पहले तो समु  ने अपनी फली  ई टांग
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                    को इक ा  कया और िसकड़ कर बैठ गया।  फर भी िब डर नह  माने तो समु  जगह कम
                    होने  क  कारण  घुटने  मोड़  कर  बैठ  गया।  अब  भी  िब डर  नह   माने  तो  समु   खड़ा  हो
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                    गया.....  इतनी जगह देने पर भी जब िब डर नह  माने तो समु  क पास खड़े रहने क
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                    जगह भी कम पड़ने लगी और समु  को गु सा आ गया। कहा जाता है  क जो िजतना बड़ा
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                    होता है उसको गु सा उतना ही कम आता है पर तु जब आता है तो उनक गु से को कोई
                    शांत नह  कर सकता है।
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