Page 3 - LESSON NOTES - SAKHI - 1
P. 3
Lkadsr & tc eS Fkk…………………………………………………………………..ek¡fg A
‘kCnkFkZ & म – अहम ् ( अहकार ), ह र – परमे वर, अँ धयारा – अंधकार
ं
े
े
O;k[;k & क व क अनुसार िजस कार द पक क जलन पर अंधकार अपन आप
े
े
ै
ै
ै
दूर हो जाता ह और उजाला फल जाता ह। उसी कार ान पी द पक जब दय
े
ै
म जलता ह तो अ ान पी अंधकार मट जाता ह। यहाँ द पक ान क काश का
ै
तीक ह और अँ धयारा ान का तीक ह। मन क वकार अथा त् संशय, ोध,
ै
े
ै
मोह, लोभ आ द न ट हो जाते ह । तभी उसे सव यापी ई वर क ाि त भी होती
ह।
ै
Lkans’k & bZ’oj dks ikus ds fy, vgadkj dk R;kx vko’;d gS A
Lkadsr &lf[k;k lc…………………………………………………………………..jksoS A
q
‘kCnkFkZ & सु खया – सुखी, अ – अ ान पी अंधकार, सोवै – सोय हए, दु खया –
े
ु
दुःखी, रोवै – रो रह े
ै
O;k[;k & कबीर क अनुसार जो यि त कवल सांसा रक सुख म डूबा रहता ह
े
े
े
ै
े
े
और िजसक जीवन का उ द य कवल खाना, पीना और सोना ह। वह यि त सुखी
ै
ै
ह। क व क अनुसार ‘सोना’ अ ानता का तीक ह और ‘जागना’ ान का तीक
े
ै
ह। जो लोग सांसा रक सुख म खोए रहते ह , जीवन क भौ तक सुख म ल त
े
रहते ह व सोए हए ह और जो सांसा रक सुख को यथ समझते ह , अपने को
े
ु
ै
े
ई वर क त सम प त करते ह वे ह जागते ह । ानी यि त जानता ह क संसार
न वर ह फर भी मनु य इसम डूबा हआ ह। यह दखकर वह दुखी हो जाता ह। वे
े
ै
ै
ै
ु
संसार क दुदशा को दूर करने क लए चं तत रहते ह , सोते नह ं ह A
ै
े
Lkans’k & thou esa lPpk l[k tkx#d O;fDr gh ik ldrk gS A
q
vfrfjDr uksV~l
क तूर नाम मूलतः एक ऐसे पदाथ को दया जाता ह िजसम एक ती ण गध
ं
ै
े
ै
े
ं
े
होती ह और जो नर क तूर मृग क पीछ/गुदा म ि थत एक थ से ा त