Page 1 - LESSON NOTES - SAKHI - 1
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SAI  INTERNATIONAL  SCHOOL

                                                         ND
                                     CLASS-X (2  LANG. HINDI

                                                        SLRC

                                   LESSON NOTES – SAKHI-1

                                               कबीर दास का जीवन प रचय

























               संत कबीर दास  ाचीन भारत क सबसे   स ध क वय  क  सूची म  सबसे  थम
                                                   े
                थान पर आते ह । उनका ज म वाराणसी म  हआ। हालाँ क इस बात क  पुि ट नह
                                                                    ु
                                                                                              े
               क  जा सक , पर तु ऐसा माना जाता ह  क उनका ज म सन ्  1400 क आसपास
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               हआ। उनक माता- पता क बार म  भी यह  मा णत नह ं ह  क उ होन  कबीरदास
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                                       े
               को ज म  दया या कवल उनका पालन-पोषण  कया। कबीर ने खुद को अपनी कई
               रचनाओं म  जुलाहा कहा ह।
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                                                                                           े
               उ होने कभी  व धवत  श ा नह ं  ा त क ,  क ं तु  ानी और संत  क साथ रहकर
               कबीर ने द  ा और  ान  ा त  कया। वह धा म क कम कांड  से पर थे। उनका
                                                                                           े
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               मानना था  क परमा मा एक ह, इस लए वह हर धम  क  आलोचना और  शंसा
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                                                                     े
               करते थ। उ होने कई क वताएं गा , जो आज क सामािजक प र  य म  भी उतनी
               ह  सट क ह , िजतनी  क उस समय A उ होन अपने अ तंम  ण मगहर म   यतीत
                                                                 े
                                                                               ँ
                                                                                          ं
                कए और वह ं अपन  ाण  यागे। कबीर दास क  रचनाए  कबीर  थावल  म
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               सं ह त ह। कबीर क  कई रचनाए गु  थ सा हब म  भी पढ़  जा ldrh gSa A
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                                                     ं
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