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                 ातः कालीन सूय  क   करण  क साथ ही िग लू ने अपना शरीर  याग  दया ।  कसी अ य जीवन

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                  म  ज म लेने क िलए उसने अपने  ाण छोड़  दए ।


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                                                                             े
                सोनजुही क  लता क नीचे बनी िग लू क  समािध से लेिखका क मन म  इस िव ास का ज म होता
                                                   े
                                                            े
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                  था  क एक  दन िग लू जूही क छोट से Qwy क  प म  अव य िखलेगा और वह  फर से उसे अपने
                  आस-पास अनुभव कर पाएगी । यह िव ास उसे संतोष देता था ।









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           िपतृ प


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           आि न क ण  ितपदा से लेकर अमाव या पं ह  दन िपतृप  (िपतृ = िपता) क नाम से िव यात है
           । इन पं ह  दन  म  लोग अपने िपतर  (पूव ज ) को जल दते ह  तथा उनक  मृ यु-ितिथ पर  ा  करते
                                                                   े

           ह  । िपता-माता आ द पा रवा रक lnL;ks क  मृ यु क प ात् उनक  तृि  क िलए   ापूवक  कए जाने
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           वाले कम  को िपतृ- ा  कहते ह  ।

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             या इदं  ा म् (जो   ा से  कया जाय, वह  ा  है।) भावाथ  है  ेत और िप  र क िनिम ,
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           उनक  आ मा क  तृि  क िलए   ापूव क जो अ पत  कया जाए वह  ा  है ।


           िह दू धम  म  माता-िपता क  सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है । ज मदाता माता-िपता को मृ यु-

           उपरांत लोग िव मृत न कर द , इसिलए उनका  ा  करने का िवशेष िवधान बताया गया है । भा पद


           पू णमा से आि न क णप  अमाव या तक क सोलह  दन  को िपतृप  कहते ह  िजसमे हम अपने पूव ज
                                                      े
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           क  सेवा करते ह  ।



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