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एक बार लेिखका मोटर-दुघ टना म घायल होकर कछ दन तक अ पताल म रही । अ पताल से
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घर आने पर िग लू ने उसक सेवा क । वह लेिखका क त कए क िसरहाने बैठकर अपने न हे-न हे
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पंज से उसक िसर और बाल को इतने हौले-हौले सहलाता रहता क उसका वहाँ से हटना
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लेिखका को कसी प रचा रका क हटने क समान लगता । इस कार लेिखका क अ व थता म
िग लू ने प रचा रका क भूिमका िनभाई।
जब िग लू का अंत समय आया तो उसने खाना-पीना छोड़ दया । वह घर से बाहर भी नह गया
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। िग लू अपने अितम समय म झूले से उतरकर लेिखका क िब तर पर िन े लेट गया । उसक
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पंजे पूरी तरह ठड पड़ चुक थे । वह रात भर लेिखका क ऊगली पकड़े रहा और भात होने तक
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वह सदा क िलए मौत क न द सो गया ।