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               (6) प्रसंग क ऄनुसार संवादों में व्यंग्य-लवनोद (हँसी-मजाक) का समावेश भी होना चालहए।

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               (7) यथास्थान मुहावरों तथा लोकोलियों क प्रयोग करना चालहए आससे संवादों में सजीवता अ

               जाती है । और संवाद प्रभावशाली लगते हैं ।




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               (8) संवाद बोलने वाले का नाम संवादों क अगे ललखा होना चालहए।


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               (9) यकद संवादों क बीच कोइ लचत्र बदलता है या ककसी नए व्यलि का अगमन होता है, तो

               ईसका वणान कोष्टक में करना चालहए A



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               (10) संवाद बोलते समय जो भाव विा क चेहर पर हैं, ईन्हें भी कोष्टक में ललखना चालहए।


               (11) यकद संवाद बहुत yacs चलते हैं और बीच में जगह बदलती हैं, तो ईसे दृश्य एक , दृश्य दो


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               करक ck¡Vuk चालहए ।



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               (12) संवाद लेखन क ऄंत में वाताा पूरी हो जानी चालहए।


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               ऄच्छ संवाद-लेखन की लवशेषताएँ -



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               (1) संवाद में प्रवाह , क्रम और तकसम्मत (ऄथापूणा) लवचार होना चालहए।


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               (2) संवाद देश, काल, व्यलि और लवषय क ऄनुसार ललखा होना चालहए।
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