Page 3 - LESSON NOTES - DIARY KA EK PANNA - 2
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               O;k[;k & जब से कानून भंग का काम शु  हआ ह तब से आज तक इतनी बड़ी
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               सभा ऐसे मैदान म  नह ं क  गई थी और यह सभा तो कहना चा हए  क ओपन

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               लड़ाई थी । पु लस क म नर का नो टस  नकल चका था  क अमुक - अमुक धारा
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                                                                                           े
               क अनुसार कोई सभा नह ं हो सकती । जो लोग काम करने वाले थ उन सबको
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               इ पे टर  क  वारा नो टस और सचना द द  गई थी  क आप य द सभा म  भाग
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               लग  तो दोषी समझे जाएग । इधर क  सल क  ओर से नो टस  नकल गया था  क
               मोनुम ट क नhचे ठ क चार बजकर चkSबीस  मनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा
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                वत ता क    त ा पढ़  जाएगी । सव साधारण क  उपि थ त होनी चा हए । खुला
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               चेलज दकर ऐसी सभा पहले कभी नह ं हई थी ।
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                            (सभा को रोकने क  लए  कय गए  यास  का वण न)
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               ठ क चार बजकर दस  मनट पर सुभाष बाबू अपना जुलूस ल कर मैदान क  ओर
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                नकल । उनको चौरगी पर ह  रोक  दया गया। पर तु वहां पर लोगो क  भीड़
               इतनी अ धक थी  क पु लस उनको वहां पर न रोक सक  । जब वे लोग मैदान क
                                                                                                           े
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               मोड़ पर पहचे तो पु लस ने उनको रोकने क  लए ला ठयां चलाना शु  कर  दया।
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               बहत से लोग घायल हो गए । सुभाष बाबू पर भी ला ठयाँ पड़ी । पर तु  फर भी
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               सुभाष बाबू बहत ज़ोर स व द -मातरम बोलते जा रह थ ।  यो तम य गांगुल  ने
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               सुभाष बाबू से कहा  क वे इधर आ जाए । पर तु सुभाष बाबू ने कहा  क उ ह
               आगे बढ़ना ह ।
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               लेखक कहते ह   क बहत सी बाते तो वे सुनी-सुनाई  लख रह ह  पर तु सुभाष बाबू
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               और लेखक क बीच कोई  यादा फासला नह ं था । सुभाष बाबू बहत जोर -जोर से
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               व द - मातरम बोल रह थ, य लेखक न खुद अपनी आँख  से दखा था । पु लस
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               बहत भयानक  प से ला ठयाँ चला रह  थी ।    तज चटज  का  सर पु लस क
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                                                                                     े
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               ला ठय  क कारण फट गया था और उनका बहता हआ खून दख कर आख अपने
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                                                                                                 ँ
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               आप बंद हो जाती थी । इस तरफ इस तरह का माहौल था और दूसर  तरफ
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                मारक क नhचे सी ढ़य  पर ि  यां झंडा फहरा रह  थी और  वत ता क    त ा
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               पढ़ रह  थी । ि  याँ बहत अ धक सं या म  आई हई थी । लगभग सभी क पास
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