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द्वीप क े एक ओर था और वामीरो ि सरी ओर । ततारा को जस ही होश आया ,उसन िखा दक द्वीप क े दजस
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ओर वह है वो टकड़ा समद्र में िसन लगा है । अब वह तड़पन लगा, वह छलाग लगा कर ि सरी ओर जाना
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चाहता था परन्त उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और वह नीच की ओर दफसलन लगा।वह उस कट हुए द्वीप क े
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उस आखरी भ -भाग पर बहोश पड़ा हुआ था जो सयोगवश उस द्वीप से जड़ा हुआ था। बहता हुआ ततारा
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कहा गया ,उसक बाि उसका क्ा हुआ ये कोई नहीं जान सका। इिर वामीरो ततारा से अलग होन क े
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कारण पागल हो गई। वह हर समय बस ततारा को ही खोजती रहती और उसी जगह आकर घटों बठी रहती
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जहा वो ततााँरा से दमलन आया करती थी । उसन खाना -पीना छोड़ दिया था । पररवार से वह कही अलग हो
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गई । लोगो ने उस ढढ़न की बहुत कोदशश की परन्त अब वामीरो का भी कोई सराग नहीं दमला दक वह कहा ाँ
गई ।
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आज ना तो ततारा है और ना ही वामीरो है,परन्त दफर भी आज उनकी प्रमकथा
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हर घर में सनाई जाती ह। दनकोबार क े दनवादसयों का मानना है दक ततारा की तलवार से कार -दनकोबार क े
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जो िो टकड़ हुए, उसम से ि सरा टकड़ा आज दलदटल अिमान क े नाम से प्रदसद्ध है जो कार -दनकोबार से
96 दक.मी. ि र क्तथथत है । दनकोबार दनवादसयों ने इस घटना क े बाि अपनी परम्परा को बिला और ि सर े
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गाव में भी दववाह सम्बन्ध बनन लग। ततारा - वामीरो की जो एक -ि सर क े दलए त्यागमयी मत्य थी वह
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शायि इसी सखि बिलाव क े दलए थी ।