Page 3 - LN2
P. 3
jkg u lw>uk & mik; u feyuk
lqjkx u feyuk & irk u feyuk
े
ु
ाँ
ाँ
ाँ
े
O;k[;k & ततारा दिन ढलन से बहुत पहल ही लपाती गाव की उस समद्री चट्टान पर पहुच गया था
े
ाँ
े
े
जहा उसन वामीरो को आन क े दलए कहा था । वामीरो क े इन्तजार में उस हर एक पल बहुत अदिक लम्बा
े
ं
े
ै
लग रहा था । उसक अिर एक शक भी पिा हो गया था दक अगर वामीरो आई ही नहीं तो \ उसक पास
े
े
ाँ
प्रतीक्षा करन क े अलावा और कोई चारा नहीं था । वामीरो ततारा से दमलन आए गई।
े
ाँ
ु
े
े
ु
ततारा और वामीरो अब हर रोज उसी जगह दमलन लग । लपाती क े कछ यवकों को इस प्रम क े
े
ै
े
बार में पता चल गया और ये खबर हवा की तरह हर जगह फल गई । वामीरो लपाती गााँव की रहन वाली थी
ं
ाँ
ाँ
और ततारा पासा गाव का । िोनों का सम्बन्ध दकसी भी तरह सभव नहीं था । क्ोंदक रीदतररवाज़ क े
ु
ाँ
अनसार िोनों क े सम्बन्ध क े दलए िोनों का एक ही गाव का होना जरुरी था ।
ु
व
ु
व
ाँ
ु
~
~
कछ समय क े बाि पासा गाव में 'पश पव 'का आयोजन दकया गया। पश पव में हटVs –कटVs
ु
े
ें
ु
े
ु
ाँ
पशओं क े दिखाव क े अलावा पशओं से यवकों की शक्ति परखन की प्रदतयोदगताय भी होती थी । ततारा का
ं
े
े
ाँ
े
व
मन इन में से दकसी भी कायक्रम में नहीं लग रहा था । उसकी परशान आख तो वामीरों को ढढन में व्यस्त
े
ें
े
ाँ
े
ाँ
ाँ
थी ।जब ततारा ने वामीरो को िखा तो उसकी आख नमी से भरी थी और उसक होंठ डर कर काप रह थे ।
ु
ाँ
े
े
े
ाँ
े
ततारा को िखत ही वामीरो फट-फटकर रोन लगी । ततारा इस तरह वामीरो को रोता िखकर भावक हो
े
ाँ
ाँ
ु
े
गया। वामीरो क े रोन की आवाज सनकर वामीरो की मा वहा आ गई और िोनों को एक साथ िख कर
ाँ
े
े
ाँ
ाँ
ु
ु
गस्सा हो गई । उसन ततारा को कई तरह से अपमादनत करना शऱू कर दिया । गाव वाल भी ततारा क े
े
े
दवरोि में बोलन लग। लोगो की बातों को सनना अब ततारा क े दलए सहन कर पाना मक्तिल हो रहा था ।
ाँ
ु
ु
े
े
े
अचानक उसका हाथ उसकी तलवार पर आकर दटक गया । गुस्स से उसन तलवार दनकाली । उसन अपन े
ु
े
ं
े
गस्स को शात करन क े दलए अपनी परी शक्ति से तलवार को िरती में गाड़ दिया और अपनी परी ताकत से
ाँ
ाँ
े
े
उस खींचन लगा ।जो लकीर ततारा ने खींची थी उस लकीर की सीि में िरती फटती जा रही थी ।ततारा