Page 2 - LESSON NOTES-PADBANDH
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               (3) पदबध में जड़ हुए पदों का समह व्याकरनणक इकाई का रूप ले लत हैं और वही इिकी पहचाि
                     ै
               होती ह।
                              ं
                                                                                           े
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               (4) प्रत्यक पदबध में एक मख्य पद होता है और अन्य पद उस मख्य पद पर आनित होत ह। उदाहरण
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                                                                             ू
                                                                                      ु
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               क े नलए – बगीच में रग-नबरग सदर फल खखल रह ह। अब यहा पर जो फल है वो मख्य पद है और बाकी
                       ै
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                                ं
               क े पद जस रग-नबरग और सदर आनित पद ह।
                                 थ
                       ं
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                                      ु
               (5) पदबध का निधारण मख्य पद क े आधार पर होता ह।
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               पदबध क े भद
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                                                              े
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                                          ं
               मख्य पद क े आधाि पि पदबध क े पाच प्रकाि होत हैं-
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               (1) संज्ञा पदबध
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               (2) नवशषण पदबध
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                      थ
               (3) सविाम पदबध
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               (4) नक्रया पदबध
                                    ं
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               (5) नक्रयानवशषण  पदबध
                                       े
                                                                         े
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               पद -  वाक् से अलग रहि पर 'शब्द' और वाक् में प्रयक्त हो जाि पर शब्द 'पद'
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               कहलात हैं ।
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                 ू
                दसर शब्दों में -  वाक् में प्रयक्त शब्द पद कहलाता है ।
                    ं
               पदबध-
                                                                                           े
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                                                                                   ं
                                   े
               कई पदों क े योग से बि वाक्ाशो को, जो एक ही पद का काम करता है, 'पदबध' कहत है ।
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               कछ उदाहरणों की सहायता से पदबध को और अच्छ से समझि की कोनशश करत हैं –
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                                                    ै
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               इि चार वाक्ों में रखानकत शब्द पदबध ह।
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               (1) सबस ति दौड़न वाला घोड़ा जीत गया।
                                                                      े
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               पहल वाक् ‘सबस तज दौड़ि वाला घोड़ा जीत गया।’ क े ‘सबस तज दौड़ि वाला घोड़ा’ में पाच पद है,
                                                थ
                                                                                    ैं
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                    ु
               नकन्त वे नमलकर एक ही पद का काय कर रह हैं अर्ात सज्ञा का काय कर रह ह।
                                 ु
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               (2) रमश अत्यत सशील औि परिश्रमी ह।
                                                                   ं
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               दसर वाक् ‘रमश अत्यत सशील और पररिमी ह।’ क े ‘अत्यत सशील और पररिमी’ में भी चार पद हैं,
                                                                                        े
                                                                                          ैं
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                    ु
               नकन्त वे भी नमलकर एक ही पद का काय कर रह हैं अर्ात नवशषण का काय कर रह ह।
                                            ै
               (3) झरिा बहता चला िा िहा ह।
                                                                                            ु
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               तीसर वाक् ‘झरिा बहता चला जा रहा ह।’ क े ‘बहता चला जा रहा है’ में पाच पद हैं नकन्त वे भी नमलकर
                                                                      ैं
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                                              थ
               एक ही पद का काय कर रह हैं अर्ात नक्रया का काम कर रह ह।
                                 थ
               (4) िदी कल-कल किती हुई बह रही र्ी।
                                                                                                  ु
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               चौर् वाक् ‘िदी कल-कल करती हुई बह रही र्ी।’ क े ‘कल-कल करती हुई’ में तीि पद हैं, नकन्त वे भी
                                                                 े
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               नमलकर एक ही पद का काय कर रह हैं अर्ात नक्रया नवशषण का काम कर रह ह।
                                                                    े
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              (1) सज्ञा-पदबध-  वह पदबध जो वाक् में सज्ञा का काय कर, सज्ञा पदबध कहलाता है ।
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              दसर शब्दों में- पदबध का अनतम अर्वा शीष शब्द यनद सज्ञा हो और अन्य सभी पद उसी पर आनित हो
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                             ं
              तो वह 'सज्ञा पदबध' कहलाता है ।
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               (a) चार ताकतवर मजदर इस भारी चीज को उठा पाए ।
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