Page 1 - CH- BUDHI SARBATHA SADHIKA (LIT) LN
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SAI International School
Class- VI
nd
Sub -Sanskrit(2 language)
Ckqf) lokZFkZ lkf/kdk (LN)
Paragraph-1
एकस्मिन् वन -------------------------------------------------------- च ते उपायं चचन्तयस्न्त ।
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शब्दार्ाा:-
एकस्मिन् वन – एक वन ि।
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सरोवर :- तालाब |
गजयूथं – हाचथयों का सिूह।
गजः – हाथी ।
मवेच्छया- अपनी इच्छा से ।
पीत्वा – पीकर
मनात्वा – मनान करक।
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क्रीडित्वा – खेलकर |
यषु – स्जनि ।
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शशकः – खरगोश |
ननवसन्तः -रहत हए |
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क्षतववक्षता :- घायल |
िृताः – िर हए।
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भीताः – िर हए।
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चचन्तािगनाः – चचस्न्तत ।
मवरक्षाथं – अपनी रक्षा क ललए।
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सरलार्ा:-
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एक वन ि जल स हिशा भरा हआ िहान सरोवर ह। कभी एक प्यास स व्याक ु ल हाचथयों
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का सिूह दूसर वन स वहा आता ह। उस सरोवर ि व हाथी अपनी इच्छा स जल पीकर
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मनानकर, खेलकर, सूयामत सिय ननकलते ह। और उस सरोवर क ककनार चारों ओर िुलायि
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भूलि पर बहत स ख़रगोश का बबल ह। स्जनि बहत-से खरगोश ननवास करते ह। हाचथयों क
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घूिने स उन बबलों ि रहने वाल बहत स खरगोश क्षत-ववक्षत (घायल) हो जाते ह। और क ु छ
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िृत भी हो जाते ह। अतः खरगोश भयभीत और चचंतािगन होते ह। व दुख का अनुभव करते
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ह और वे अपनी रक्षा क ललए उपाय सोचते ह।
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