Page 3 - LN-EK PHOOL KI CHAHA-2
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िह खेलती हई बाहर कहीं कदखाई दी।जब िह घर पर अपनी बेटी को नहीं देख पाता है, तो िह



               अपनी बेटी को देखने क े वलए श्मशान की ओर दौड़ता है। परन्तु जब िह श्मशान पहाँचता है, तो


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                                                                                                े
               उिक पररवचत बंधु आकद िंबंधी पहल ही उिकी पुत्री का अंवतम िंस्कार कर चुक होते हैं। अब
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               तो उिकी वचता भी बुझ चुकी थी। यह देख कर िुवखया क े वपता की छाती धधक उठती है।



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               उिकी फलों की तरह कोमल-िी बच्ची आज राख का ढेर बन चुकी थी।

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               अंत में िुवखया क वपता क मन में बि यही मलाल शेर् बचता है कक िह अपनी पुत्री को अंवतम
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                                                                                                    े
               बार गोद में भी नहीं ले पाया। िह इतना अभागा है कक अपनी बेटी की अंवतम इच्छा क ऱूप में ,


               मााँ क प्रिाद का एक फल भी उिे लाकर नहीं दे पाया |
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