Page 2 - LN-EK PHOOL KI CHAHA-2
P. 2

े
                                                              ू
               मााँ की मवहमा िे भी बड़ा है ? क्या मेर इि अछतपन में देिी मााँ िे भी ज्यादा शवि है , वजिने

                                              े
                         े
               देिी मााँ क रहते हए भी इि पूर मंकदर को अशुद्ध कर कदया?
                                                              ै
                         े
                                                            े
                                                                                            े
               िुवखया क वपता ने भीड़ िे कहा कक तुम मााँ क किे भि हो           , जो खुद मााँ क गौरि को मेरी
                                                      े
                                                े
               तुलना में छोटा कर दे रहे हो। अर मााँ क िामने तो छत          िमान हैं। परन्तु -  अछत िभी एक  -,
                                                                   ू
                                                                                                ू
                         े
               िुवखया क वपता की इन बातों को ककिी ने नहीं िुना और भीड़ ने उिे पकड़ कर खूब मारा                 ,

               कफर मारते हए उिे जमीन पर वगरा कदया।  भीड़ क े इि तरह िुवखया क े वपता को पकड़ क े



                                                                                                           ू
                                     े
               मारने क े कारण, उिक हाथों िे प्रिाद भी वगर गया। वजिमें देिी मााँ क े चरणों में चढ़ा हआ फल

                                                                             ष
               भी था। िुवखया क े वपता मार खाते हए, ददष िहते हए भी विफ यही िोच रहे थे कक अब ये देिी

                                                                                      े
                                                                ै
                                                                  े
                                  ू
               मााँ क े प्रिाद का फल उिकी बेटी िुवखया तक कि पहाँचेगा। भीड़ उि पकड़ कर न्यायलय ले
                                  े
                                                          े
               गयी। जहााँ पर उि देिी मााँ क े अपमान जैि भीर्ण अपराध क े वलए िात कदन कारािाि का दंड

               कदया गया।



                                                                                        े
                                                                           े
                                                                                                ु
               िुवखया क वपता ने चुपचाप दंड को स्िीकार कर वलया। उिक पाि कहने क वलए कछ था ही
                         े
                                                                                  े
                            े
               नहीं। उिे पूर िात कदन जेल में वबताने पड़े , जो उिे िात िकदयों क बराबर प्रतीत हो रहे थे।
               पुत्री क वियोग में िदैि बहते आंिू भी रुक नहीं पा रहे थे। िह हर पल अपनी प्यारी पुत्री को
                      े


                         े
               याद करक रोता रहता था।जेल िे छट कर िह भय क कारण घर नहीं जा पा रहा था। ऐिा
                                                  ू
                                                                  े
                                                                                                    े
               प्रतीत हो रहा था कक उिक शरीर क अवस्थ-पंजर को मानो कोई उिक घर की ओर धकल रहा
                                                   े
                                          े
                                                                                   े
               हो। जब िह घर पहंचा , तो पहले की तरह उिकी बेटी दौड़ कर उिे लेने नहीं आयी और ना ही
   1   2   3