Page 1 - LN-EK PHOOL KI CHAHA-1
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SAI INTERNATIONAL SCHOOL
CLASS- IX
nd
2 LANGUAGE- HINDI
LESSON NOTE-1
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शीर्षक –एक फ़ल की चाह
कवि- वियारामशरण गुप्त
उद्वेवलत कर अश्रुरावशयााँ -…………………………..जाने ककि बल िे कढकला
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कवि ने एक फल की चाह कविता में उि िक्त फली हुई महामारी क बार में बताया है। इि
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महामारी की चपेट में ना जाने ककतने मािूम बच्चे आ चुक थे। वजन माताओं ने अपने बच्चों को
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इि महामारी क कारण खोया था , उनक आाँिू रुक ही नहीं रहे थे। रोते रोते उनकी आिाज़ -
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कमजोर पड़ चुकी थी, पर उि कमजोर पड़ चुक करुणा िे भर स्िर में भी अपार अशािंवत िुनाई
दे रही थी।
प्रस्तुत पिंवक्त में एक वपता द्वारा अपने पुत्री को इि महामारी िे बचाने क े वलए ककये जा रहे
प्रयािों का िणषन है। वपता अपनी पुत्री को महामारी िे बचाने क े वलए, हर बार बाहर खेलने
जाने िे रोकता था। पर वपता क े हर बार मना करने पर भी, पुत्री िुवखया बाहर खेलने चली
जाती थी। जब भी वपता िुवखया को बाहर खेलते हुए देखता था, तो डर िे उिका हृदय कािंप
उठता था। िह िोचता था कक ककिी भी तरह िह इि बार अपनी पुत्री को इि महामारी िे
बचा ले। कवि बता रहे हैं कक आवखरकार वपता को वजि बात का डर था िही हुआ। िुवखया एक
कदन बुखार िे बुरी तरह तड़प रही थी। उिका शरीर आग की तरह जल रहा था। इि बुखार िे
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विचवलत होकर िुवखया बोल रही है कक िह ककि बात िे डर और ककि बात िे नहीं , उिे कछ
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िमझ नहीं आ रहा। बुखार िे तड़पते हुए स्िर में िह अपने वपता िे देिी मााँ क प्रिाद का एक
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फल उिे लाकर देने क वलए बोलती है |