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धम और स ाई क बुराइय से काम लेना उ ह सबसे आसान लगता है। लेखक कहता है क यह
आसान है भी। लेखक कहता है क धम और स ाई क बुराइय से काम लेना इसिलए आसान है
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य क हमार देश क साधारण से साधारण आदमी तक क दल म यह बात अ छी तरह बैठी ई
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है क धम और स ाई क र ा क िलए ाण तक दे देना िबलकल सही है। बेचारा साधारण
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आदमी धम क त व को या जाने ? क मत क सहार चलते रहना ही वह अपना धम समझता
है। साधारण लोग क इस अव था से चालाक लोग इस समय ब त गलत फ़ायदा उठा रहे ह ।
लेखक कहता है क पा ा य देश म , धनी लोग क , गरीब मज़दूर क झ पड़ी का मज़ाक
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उड़ाते ऊचे-ऊचे मकान आकाश से बात करते ह I गरीब क कमाई ही से वे अमीर से अमीर
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होते जा रहे ह , और उन ग़रीब मजदूर क बल से ही वे हमेशा इस बात का यास करते ह क
गरीब सदा चूसे जाते रह । ता क वे हमेशा अमीर बने रह । लेखक कहता है क यह एक भयंकर
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अव था है। इसी क कारण, सा यवाद, बो शेिव म आ द का ज म आ। कछ िगने-चुने लोग ह
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जो अपने गलत इराद क पू त क िलए, करोड़ आदिमय क शि का गलत उपयोग कया
करते ह । लखक कहता ह क गरीब का धनवान लोग क ारा शोषण कया जाना इतना बुरा
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नह है, िजतना बरा धनवान लोगो का मजदूर क बुि पर वार करना है। लेखक कहता है क
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वहाँ धन दखाकर करोड़ को वश म कया जाता है, और फर मन-माना धन पैदा करने क िलए
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उ ह अपने तरीक से चला दया जाता है। लेखक कहता है क यहाँ बुि पर परदा डालकर
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पहले ई र और आ मा का थान अपने िलए लेना, और फर, धम , स ाई, ई र और आ मा क
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नाम पर अपन गलत इराद क पू त क िलए लोग को आपस म लड़ाना-िभड़ाना। लेखक कहता
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है क बेचार मूख अनपढ़ मज़दूर धम क दुहाइयाँ देते और दीन-दीन िच लाते ह। वे अपने
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ाण क बािजयाँ लगा देते ह और थोडे़-से अिनयंि त और धूत आदिमय क इराद को पूरा
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करते और उनका बल बढ़ाते ह । धम और स ाई क नाम पर कए जाने वाले इस भीषण ापार
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को रोकने क िलए, साहस और दृढ़ता क साथ, उ ोग होना चािहए। जब तक ऐसा नह होगा,
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तब तक भारतवष म हमेशा बढ़ते जाने वाले झगडे कम नह ह गे। लेखक कहता है क सभी
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जानते है क धम क उपासना क रा ते म कोई भी कावट नह आती। इसका फ़ायदा उठाते ए
लोग िजसका मन िजस कार चाहे, उसी कार धम क भावना को अपने मन म जगाते ह I धम
और स ाई, मन का सौदा हो, ई र और आ मा क बीच का संबंध हो, आ मा को शु करने और
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ऊचi उठाने का साधन हो। लखक कहता है क कसी को भी दूसर ि क वत ता को
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छीनने या न करने का साधन नह बनना चािहए। ि को अपने मनोभाव क अनुसार
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