Page 1 - LN-Dharm Ki Aad-1
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SAI INTERNATIONAL SCHOOL


                                                         SLRC

                                                      CLASS-IX

                                      LESSON NOTE-DHARM KI AAD-1





                                                        भूिमका



                                                                             ु
                                                               े
                 तुत पाठ ‘धम  क  आड़’ म  लेखक ने उन लोग  क इराद  और क टल चाल  को बेनकाब  कया
               है,  जो  धम   क   आड़  लेकर  जनसामा य  को  आपस  म   लड़ाकर  अपना   वाथ   िस   करने  क


                              े
                फराक म  रहत ह । धम  क  आड़ म  अपना  वाथ  िस  करने वाले लोग हमार ही देश म  ह ,
                                                                                           े
                                                                                               ु
               ऐसा नह  है। लेखक ने इस पाठ म  पि मी देश  म  भी धम  क  आड़ म  कसे-कस ककम   ए ह ,
                                                                                             े
                                                                                      ै
                                                                                          ै
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               कसी-कसी  अनीितया   ई  ह ,  कौन-कौन  लोग,  वग   और  समाज  उनक  िशकार   ए  ह ,  इसका
               खुलासा करते चलते ह ।
               इस समय देश म ..............................................................िव   समझा जाए ।

                                                                                   े
               लेखक कहता है  क आज देश म  ऐसा समय आ गया है  क हर तरफ कवल धम  क  ही धूम है।
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               कह  पर तो धम  और स ाई क नाम पर खुरापात  कए जाते ह  और कही पर तो धम  और स ाई
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               क नाम पर िजद भी क  जाती है। लेखक कहता है  क अनपढ़ और म दबुि  लोग धम  और
               स ाई को जान , या न जान , परतु उनक नाम पर  कसी पर भी गु सा कर जाते ह  और जान लेन            े
                                                    े
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               और जान देने क िलए भी तैयार हो जाते ह । लेखक कहता है  क देश क सभी शहर  का यही
                                                                                     े
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                                                                                                    ु
               हाल है। गु सा करने वाले साधारण आदमी क  इसम कवल इतनी ही गलती है  क वह कछ भी

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               नह  समझता-बूझता, और दूसर लोग उसे जैसा भी कहते ह , वह उनक  बात  पर िव ास कर
                                                                                                    े
                                                                           ु
               लेता है। लेखक कहता है  क इसका अथ  यह है  क गलती उन कछ चलते- पुरजे अथा त पढ-िलखे
                                                                                                    ़

               लोग  का, जो मूख लोग  क  शि य  और उ साह का गलत उपयोग इसिलए कर रहे ह  ता क
                                                      े
                                                                                                    े
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               उन मूख  क बल क आधार पर पढे़-िलख लोग  का नेतृ व और बड़ पन कायम रहे। इसक िलए
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