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  हमारी सभ्यता धूल को गदय समझती है  । वह बनावटी प्रसाधन सामग्री और



                             सलमे-लसतारों में ही सौंदयय मानती है  । गाँव की धूल में उन सलमे-लसतारों क
                                                                                                         े

                             धुंधले पड़ने की आशंका होती है। इसललए वह धूल से अथायत् ग्राम्य संस्कलत से
                                                                                                    ृ


                             बचना चाहती है  ।



                                                                                                  े
                           अखाड़े की लमट्टी कोई साधारण लमट्टी नहीं होती है। यह तेल और मछ से लसझाई

                             गई वह लमट्टी होती है लजसे देवताओं पर चढ़ाया जाता है  । यह लमट्टी शरीर को



                             बलवान बनाती है  । युवा इस लमट्टी पर लनवंद्व भाव से लेटकर ऐसा महसूस करता



                             है मानो वह लवश्वलवजेता हो  ।


                           लेखक ने धूल और लमट्टी में अंतर बताते हुए ललखा है कक धूल लमट्टी का अंश होती



                                                                     ू
                             है   । धूल, लमट्टी से ही बनती है । लजन फलों को हम अपनी लप्रय वस्तुओं का


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                             अपमान बनाते हैं, वे सब लमट्टी की ही उपज हैं  । फलों में जो रस, रग, सुगंध और

                             कोमलता आकद है वह भी तो लमट्टी की उपज है  । लमट्टी और धूल में उतना ही


                             अंतर है लजतना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में है । लमट्टी



                                                                                                          ं
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                             की चमक और सुंदरता ही धूल क नाम से जानी जाती है। लमट्टी क गुण, रूप-रग

                                                                                                        ं
                             की पहचान भी तो धूल से ही होती है। धूल ही लमट्टी का स्वाभालवक श्वेत रग


                             होता है ।
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