Page 2 - Microsoft Word - TOPIC-1 NITINAVANITAM Notes
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(ग) तयोिन ि य कयादाचाय च सवदा।
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त व ि ष त ष तपः सव समा त॥
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श ाथ : तयोः-उन दोनों का। िन म- ितिदन। कयात-करना चािहए। तष-उन (क)। ि ष-तीनों क। त ष-
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स होन पर। तपः-तप ा। सवम-सारी। समा त-समा (साथक) होती ह।
सरलाथ:-उन दोनों (माता और िपता) का और आचाय को सदा ितिदन (स ानों ारा) ि य करना
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चािहए। उन तीनों क ही स होन पर सार तप समा (साथक) हो जात ह।
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(घ) सव परवश दुःख सवमा वश सखम।
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एति ा मासन ल ण सखदुःखयोः॥
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श ाथ : सवम-सारा। परवशम-दसरों क वश म (परत ता म)। आ वशम-अपन वश म ( त ता म)।
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एतत-यह। िव ात-जानना चािहए। समासन-स प स। सखदःखयोः-सख-दःख का।
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सरलाथ:-दसरों क वश म सारा द:ख होता ह और अपन वश म सब कछ सख होता ह। इस ही स प स े
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सख और दःख का ल ण जानना चािहए।
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(ङ) य म कवतोऽ ा रतोषोऽ रा नः।
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त य न कव त िवपरीत त वजयत॥
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श ाथ : य म-िजस काम को। कवतः-करत ए। अ -इस (का) ात-हो। प रतोषः-स ोष।।
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अ रा नः-आ ा का। तत-वह। य न- य स (कोिशश करक)। कव त-करना चािहए। िवपरीतम-
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उ ा। त-तो। वजयत-छोड़ दना चािहए।
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सरलाथ:-िजस काम को करत ए इस (अपनी) आ ा का स ोष हो, उस काम को य पवक करना
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चािहए। उसस िवपरीत (उ ा) तो छोड़ दना चािहए।
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(च) ि पत स ाद व पत जल िपबत।
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स पता वद ाच मनः पत समाचरत॥
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श ाथ : ि पतम-आख स दखकर। सत-रखना चािहए। पादम-कदम को (पर को)। व पतम-कपड़
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स छानकर। िपबत-पीना चािहए। स पताम-स स परी ा करन। वदत-बोलना चािहए। वाचम-वाणी को।
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समाचरत-आचरण करना चािहए।

