Page 1 - Microsoft Word - TOPIC-1 NITINAVANITAM Notes
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SAI International School



                                                                                            CLASS -VIII


                                                                  SUB-Sanskrit (Notes)

                                                                      ्
                                                  नीितनवनीतम


               पाठ का प रचय (Introduction of the Lesson)


                                                          ं
                                                                                      े
                   ु
                                                                                                    ू
                                                                                                        ै
                                ृ
                             ु
                                                                 ै
                                     े
                 त पाठ ‘मन ित’ क कितपय  ोकों का सकलन ह जो सदाचार की  ि  स अ   मह पण ह।
                   ँ
                                   ु
                                                         े
                                                             े
                                                                            े
                                                                                              ु
                                                                        े
               यहा माता-िपता तथा ग जनों को आदर और सवा स  स  करन वाल अिभवादनशील मन  को िमलन                े
                                         ै
                                                           ु
                                               े
                                                               ु


                   े
               वाल लाभ की चचा की गई ह। इसक अित र  सख-दख म समान रहना, अ रा ा को आन  त करन                   े
                                       े


                   े
                                                                      ्
                                                                                                       ु
               वाल काय करना तथा इसक िवपरीत काय  को  ागना, स क िवचारोपरा  तथा स माग का अनसरण
                                                                          ै
                    े

                                                          े
               करत  ए काय करना आिद िश ाचारों का उ ख भी िकया गया ह।


                               ं
               पाठ-श ाथ: एव सरलाथः
                                                   े
                                             ृ
                                           ं
               (क) अिभवादनशील  िन  व ोपसिवनः।
                                 े

                                      ु
                                                      ्

               च ा र त  वध  आयिव ा यशो बलम॥

                                                                          ्
                                                                                                        ु
                                                      े
                                                    े
                                                                                                      ु
                                                                  े
                                                                                     ृ
                                                                                          े
               श ाथ : अिभवादनशील - णाम करन क  भाव वाल। िन म- ितिदन। व ोपसिवनः-बड़ों (बजग )
                                                                        े
                                े
                                  े


                    े

                            े
               की सवा करन वाल क। च ा र-चार (चीज) त -उसकी। वध -बढ़ती ह। यशः-नाम।
                                                  े
                                                                े
                                                                                      ृ
                                                                                            ु
                                                                                 ै
                                                                                                      े
                                                                                             ु

               सरलाथः-अिभवादनशील ( णाम करन की आदत वाल) तथा  ितिदन (सदव) व ों (बजग ) की सवा

                    े
               करन वाल     की आय, िव ा, यश और बल य चारों चीज बढ़ती ह।
                                                            े

                        े
                                       ु
                                                   े
                                            े
                                           े
                                      ं
                                    े
                                                          ्
                                                     ृ
                     ं
               (ख) य मातािपतरौ  श सहत स व नणाम।

                           ृ
                                          ु
               न त  िन ितः श ा कत वषशतरिप।

                                                 ै
                                                                                     े
                                                                                    े
                                                                                                           े
                           ्
                                                                                                    े


                                                                                           े
                                                                    े
                                                                       ्
               श ाथ : यम-िजस (को)। मातािपतरौ-माता और िपता।  शम-क  को। सहत-सहत ह। स व-जना दन                 े
                                                                                      ु
                                                                                        ्

                            ु
                                                    ृ
                                 े


                                                                                             े


                        ्
                                                                                                       ै
                                                                               े

                    ृ
               म। नणाम-मन ों क। त -उसका। िन ितः-बदला। श ा-समथ होत ह। कतम-करन म। वषशतः-सौ

               वष  म। अिप- भी।
                                                                                                   े



                           ु
                                                                     े
               सरलाथ:-मन ों (ब ों) की उ ि  तथा पालन-पोषण करन म माता-िपता िजस क  को सहत ह, उसका
                                           े

                           े
                       ु

                                                                                     ै

               बदला चकान (िनराकरण करन) म ब ा सौ वष  म भी समथ नहीं हो सकता ह।
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