Page 3 - L.N-Ram ka Van Jana
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मुझे बंदी बनाकर राज संभालो । राम ने उ ह  समझाया  क उसे रा य का कोई लोभ नही था ।


                 ै
               ककयी  ने  राम,  ल मण  और  सीता  को  व कल  व    दए  ।  उ होन  राजसी  व    याग  कर
                           े
               तपि वय  क व  पहन िलए और महल से बाहर आ गये ।
                                                                                                             े
               महल क बाहर सुमं  रथ लेकर खडे थे । राम, सीता और ल मण रथ पर सवार हो गए । राम क
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                                     े
               रथ को तेज चलाने क िलए कहा । सुमं  ने शाम तक राम,ल मण व सीता को  ृगवरपुर मे
                                                                                                   ं
               पँ चा  दया । िनषादराज गुह ने उसका  वागत  कया । सुमं  क अयो या लौटते ही सभी लोगो
                                                                              े
                                                                     े
               ने तथा महाराज ने    पूछने शु   कए । वन-गमन क छटव   दन दशरथ न  ाण  याग  दए ।
                                                                                           े
               राम का िवयोग उनसे सहा नही गया । दूसर  दन मह ष विश  ने मं ीप रषद से चचा  क   क
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               राजग ी खाली नही रहनी चािहए । तय  आ  क भरत को त काल अयो या बुलाया जाय ।एक

               घुडसवार दूत को भरत को लान क िलए भेजा गया तथा उसे भरत को अयो या क  घटनाएँ न
                                                  े
                                               े
               बताने को कहा ।

               श दाथ  :

                         श द                     अथ                      श द                      अथ

                       उ लास                     खुशी                  वन-गमन                 वन को जाना

                       असहजता                  क ठनता                   हत भ                    िशिथल

                             ्
                        अवाक                 च कत, मौन                  क धना              िबजली सा चमकना
                       आशं कत               िजसक  शंका हो              वचन ब                 जुबान का प ा

                                                नाराज                 व कल व             छाल व प   से बने व

                        संयत                  रोका  आ                 िनषाद राज           एक पुरानी जाित का
                                                                                                 राजा
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