Page 4 - LESSON NOTES - SAPNO KE SE DIN - 1
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लखक कहता ह िक उसक समय म लों म,
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साल क श म एक-डढ़ महीना ही पढ़ाई आ करती थी, िफर डढ़-दो महीन की
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छिटया श हो जाती थी । हर साल ही छिटयों म लखक अपनी मा क साथ अपनी
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नानी क घर चल जाता था । वहा नानी खब द ू ध-दहीं, म न खलाती, ब त ादा
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ार करती थी। दोपहर तक तो लखक और उनक साथी उस तालाब म नहात िफर
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नानी स जो उनका जी करता वह मागकर खान लगत। लखक कहता ह िक िजस
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साल वह नानी क घर नहीं जा पाता था, उस साल लखक अपन घर स द ू र जो तालाब
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था वहा जाया करता था। लखक और उसक साथी कपड़ उतार कर पानी म कद
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जात, िफर पानी स िनकलकर भागत ए एक रतील टील पर जाकर रत क ऊपर
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लोटन लगत िफर गील शरीर को गम रत स खब लथपथ करक िफर उसी िकसी
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ऊची जगह जाकर वहा स तालाब म छलाग लगा दत थ। लखक कहता ह िक उस े
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यह याद नहीं ह िक व इस तरह दौड़ना, रत म लोटना और िफर दौड़ कर तालाब म
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कद जान का िसलिसला पाच-दस बार करत थ या प ह-बीस बार।
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लखक कहता ह िक जस-जस उनकी छि यों
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क िदन ख़ होन लगत तो व लोग िदन िगनन श कर दत थ। डर क कारण
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लखक और उसक साथी खल-कद क साथ-साथ तालाब म नहाना भी भल जात।
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अ ापकों न जो काम छि यों म करन क िलए िदया होता था, उसको कस करना ह
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इस बार म सोचन लगत। काम न िकया होन क कारण ल म होन वाली िपटाई
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का डर अब और ादा बढ़न लगता। लखक बताता ह िक उसक िकतन ही सहपाठी
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ऐस भी होत थ जो छि यों का काम करन क बजाय अ ापकों की िपटाई अिधक
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'स ा सौदा' समझत। ऐस समय म लखक और उसक साथी का सबस बड़ा 'नता'
ओमा आ करता था ।
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ओमा की बात, गािलया और उसकी मार-
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िपटाई का ढग सभी स ब त अलग था । वह दखन म भी सभी स ब त अलग था।
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उसका मटक क िजतना बड़ा िसर था, जो उसक चार बािल (ढ़ाई फट) क छोट
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कद क शरीर पर ऐसा लगता था जस िब ी क ब क माथ पर तरबज रखा हो ।