Page 2 - LESSON NOTES - SAPNO KE SE DIN - 1
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बचपन म भल ही सभी सोचत हों की काश ! हम बड़ होत तो िकतना अ ा होता ।
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पर जब सच म बड़ हो जात ह, तो उसी बचपन की यादों को याद कर-करक खश
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हो जात ह। बचपन म ब त सी ऐसी बात होती ह जो उस समय समझ म नहीं आती
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ोंिक उस समय सोच का दायरा lhिमत होता ह। और ऐसा भी कई बार होता ह ै
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िक जो बात बचपन म बरी लगती ह वही बात समझ आ जान क बाद सही सािबत
होती ह ।
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त पाठ म भी लखक अपन े
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बचपन की यादों का िज कर रहा ह िक िकस तरह स वह और उसक साथी ल
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क िदनों म म ी करत थ और व अपन अ ापकों स िकतना डरत थ। बचपन म
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लखक अपन अ ापक क वहार को नहीं समझ पाया था उसी का वणन लखक न
इस पाठ म िकया ह।
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ikBka’k& मर साथ खलन वाल सभी………………इजन की भाित बड़ा और भयकर
ही तो था । ¼ i`”B 20&23 ½
श ाथ –
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िपडिलया - घटन और टखन क बीच का िपछला मासल भाग
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टिनग – िश ण बाल-मनोिव ान - ब ों क मन का िव ान
या ान
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परचिनय – राशन की दुकान वाला आढ़ितय - जो िकसानों की फसलों को
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खरीदत और बचत ह
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लड - िहसाब-िकताब िलखन की पजाबी ाचीन िलिप
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मनीमी – दुकानदारी लोको - लोगों क ारा कही गयी उ /
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बात
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खडण - खलन क अिलयार - गली की तरह का लबा सीधा
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रा ा
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सयान – समझदार िपछड़ा - जो उ ित न कर सका हो।
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सलाह - िवचार-िवमश, परामश ढाढ़स - धीरज िदलाना, हौसला दना
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हाड़ी – मटका िठगन - छोट कद का
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िहसाब क मा र जी - गिणत क अ ापक