Page 2 - LESSON NOTES - KAR CHALE HUM FIDA - 1
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सर िहमालय का हमन न झुकन िदया
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मरत-मरत रहा बाकपन सािथयो
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अब त ार हवाल वतन सािथयो
श ाथ -
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िफ़दा - ोंछावर हवाल – सौंपना बाकपन - वीरता का भाव
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सग -: त प या हमारी िहदी पा प क ' श भाग -2 ' स ली गई ह। इसक किव कफ़ी
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आज़मी ह। इन प यों म किव एक वीर सिनक का अपन दशवािसयों को िदए आखरी स श का वणन
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कर रहा ह।
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किवता का भावाथ : त प यों म कफ़ी आज़मी जी न य म शहीद होन वाल एक सिनक
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क अितम णों की मनोदशा का वणन िकया ह। य -भिम म शहीद हो रह सिनक अपनी अितम
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सासों को समट कर द ू सर सिनक सािथयों स कहत ह िक हमन तो अपन ाण ौछावर कर िदए।
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अब दश की र ा का भार त ार हाथों म ह। म को सामन दखकर भी हमन अपन कदम पीछ
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नहीं हटाए और मातभिम क सार दु नों का डट कर सामना िकया। हम हमार िसर कटन का भी
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कोई गम नहीं ह, ब हम इस बात का गव ह िक हमन िहमालय (भारत माता) का िसर झुकन नहीं
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िदया। अथात हमन दु नों को अपनी सीमा म वश नहीं करन िदया। अब हम द ू सरी दुिनया म जा
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रह ह, दश की र ा अब त करनी ह।
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िजदा रहन क मौसम ब त ह मगर
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जान दन की त रोज आती नहीं
और इ दोनों को ा कर े
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वो जवानी जो ख म नहाती नहीं
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आज धरती बनी ह दुलहन सािथयो
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अब त ार हवाल वतन सािथयो
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श ाथ -
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त - मौसम – स रता ा - बदनाम
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सग - त प या हमारी िहदी पा प क ' श भाग -2 ' स ली गई ह। इसक किव कफ़ी
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आज़मी ह। इन प यों म किव सिनक क बिलदान का भावना क प स वणन कर रहा।
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किवता का भावाथ : त प यों म एक सिनक द ू सर स कह रहा ह िक हम जीन क िलए
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हजारों अवसर िमलत ह, पर शहीद होन क ऐस शभ अवसर कभी-कभी ही नसीब होत ह। ऐसी

