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1-भाषा अ त सरल एव सहज ह
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2-यह छदम शली म िलखी गयी किवता ह
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3-'अ -अ ' म पन काश अलकार ह ै
4-यहा तोप को अ ाचार, अ ाय, दमन आिद क तीक क प म योग िकया गया ह। ऐस तीक
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को सहजन क पीछ कारण यह ह िक इ दख कर हम अपनी गलितयों का एहसास हो सक और हम
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उन गलितयों को िफरस न दोहरा बठ।
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भावाथ
अब तो बहरहाल
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छोट ब ों की सवारी स अगर यह फा रग हो
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तो उसक ऊपर बठकर
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िचिड़या ही अकसर करती ह गपशप
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कभी-कभी शतानी म व इसक भीतर भी घस जाती ह
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खासकर गौरय े
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व बताती ह िक दरअसल िकतनी भी बड़ी हो तोप
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एक िदन तो होना ही ह उसका मह बद।
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श ाथ –
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बहरहाल – िफ़लहाल फा रग - म , खाली
दरअसल -वा व म शतानी –शरारत
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सग -: त प या हमारी िहदी पा प क ' श भाग -2 ' स ली गई ह। इसक किव वीरन
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डगवाल ह। इन प यों म किव कहत ह िक अ ाय या अ ाचार िकतना ही जबरद ों न हो,
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उस ढ़ता व साहस क साथ िकय गए स िलत यास स रोका जा सकता ह I
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ा ा -: किव कहत ह िक अब तोप की थित ब त बरी ह। वह एक बगीच क महान पर महज़
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एक यादगार ऐितहािसक िनशानी क प म रखी ई ह। छोट ब इस पर बठ कर घड़सवारी का
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खल खलत ह। जब ब इस पर नहीं खल रह होत तब िचिड़या इस पर बठ कर आपस म बातचीत
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करन लग जाती ह। कभी - कभी शरारती िचिड़या, खासकर गौरय तोप क अदर घस जाती ह। वो छोटी
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सी िचिड़या ऐसा करक हम बताना चाहती ह िक कोई िकतना भी श शाली ों न हो एक ना एक
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िदन उसका भी अत िनि त होता ह। इस कार हम दख सकत ह िक िजस तोप न बड़-बड़ सरमाओं
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का अत िकया था, आज खद उसकी दशा ऐसी ह िक उसक मह म घस कर िचिड़या खल रही ह।
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इसिलए िवन ता मानव-जीवन का अनमोल गण ह। िकसी पर न तो अ ाचार करना चािहए और न
िकसी क ित अ ाय ही।
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1-यथाथ एव जीवत िच ण करन क िलए िच ा क शली का योग िकया गया ह।
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