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ा ा -: किव कहत ह िक यह जो 1857 की तोप आज कपनी बाग़ क वश ार पर रखी गई ह ै
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इसकी ब त दखभाल की जाती ह। िजस तरह यह कपनी बाग़ हम िवरासत म अ जों स िमला ह, उसी
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तरह यह तोप भी हम अ जों स ही िवरासत म िमली ह। िजस तरह कपनी बाग़ की दखरख की जाती ह ै
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उसी तरह इस तोप को भी साल म दो बार चमकाया जाता ह। प यों म वीरन डगवाल जी न भारत क
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पहल त ता-स ाम क समय अ जों ारा उपयोग की गई तोप क बार म बताया ह। जो िक कपनी
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बाग़ (कानपर म अ जों ारा बनाया गया एक बगीचा) क महान पर अ जों की िवरासत क प म रखी
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ई ह। हर साल त ता िदवस एव गणत िदवस क िदन कपनी बाग़ क साथ-साथ इस भी चमकाया
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जाता ह। कपनी बाग़ तथा यह तोप दोनों ही इितहास की िनशािनया ह, िज आज भी सहजकर रखा
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गया ह
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1-भाषा अ त सरल एव सहज ह
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2-यह छदम शली म िलखी गयी किवता ह
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3-'अ -अ ' म पन काश अलकार ह ै
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भावाथ
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सबह शाम आत ह कपनी बाग़ म ब त स सलानी
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उ बताती ह यह तोप
िक म बड़ी जबर
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उड़ा िदए थ मन े
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अ - अ सरमाओं क ध े
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अपन ज़मान म
श ाथ –
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सलानी - दशनीय थलों पर आन वाल या ी जबर - ताकतवर
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सरमाओं – वीर ध - िचथड़ - िचथड़ करना
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सग -: त प या हमारी िहदी पा प क ' श भाग -2 ' स ली गई ह। इसक किव वीरन
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डगवाल ह। इन प यों म किव कहत ह िक तोप का योग िकसिलए और िकस कार आ था !
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ा ा -: किव कहत ह िक सबह-शाम क व ब त स लोग कपनी बाग़ म टहलन या घमन आत े
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ह। तब यह तोप उ अपन बार म बताती ह िक यह अपन ज़मान म ब त ताकतवर थी। इसन अ
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अ वीरों क िचथड़ उड़ा िदए थ। अथात व सभी इस तोप क िवशाल आकार को दख कर यह
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अनमान लगा लत ह िक जब इसका इ माल होता होगा, तब यह िकतनी ही भयकर एव श शाली
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होती होगी। इसन िकतन ही बगनाह त ता सनािनयों को बवज़ह मौत क घाट उतार िदए होंग।
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अथात उस समय तोप न न जान िकतन ही शर-वीरों की आज़ादी की आवाज को कचल डाला होगा !
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