Page 3 - LESSON NOTES - DOHE - 1
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                                                                            ु
                                           बतरस -लालच लाल की मरली धरी लकाइ।
                                                           ु

                                                             ँ

                                                                 ै
                                                               ै
                                              सौंह कर भौंहन हस ,दन कह निट जाइ।।

                                                                ृ
                                                                                  ु
                                           ं
                                                                                          ँ
                                                                                            ु
                    बतरस - बातचीत का आनद              लाल -  ी क                 मरली - बासरी
                     ु
                                                                                      ु
                              ु
                    लकाइ – छपाना                      सौंह – शपथ                 भौंहन - भौंह स  े
                                        े
                    निट जाइ - मना कर दना

                       ं

                                ु
                                                                       े
                                                                                   ै
                                                                                         े

                                                          ु
                                                ं
                     सग -:   त दोहा हमारी िहदी पा  प क ' श 'स िलया गया ह। इसक किव िबहारी ह।
                                                                      ै

                                                                                                      े
                                                                                      े

                                                          े
                    यह दोहा उनकी रचना 'िबहारी सतसई ' स िलया गया ह इसम किव कहत ह िक गोिपयों न  ी
                                                    ु
                                                                 ै
                                                          ु
                                      े
                     ृ
                                    े
                           े
                    क  स बात करन क िलए उनकी मरली चरा ली ह।
                                                                          ु
                                                                                                े
                                                                                  े

                                                                   ँ
                                                                     ु
                                                          ृ


                     ा ा -: इसम किव गोिपयों  ारा  ी क  की बासरी चराए जान का वणन करत ह। किव
                                                                                      ु
                                                                े
                                                                                              ु
                                              ृ
                                                              े

                                                    े
                                                                                    ँ

                                        े
                                                                                                       ै
                         े
                    कहत ह िक गोिपयों न  ी क  स बात करन क लालच म उनकी बासरी को चरा िलया ह।
                                                                                                     ं
                                                         ँ
                                                                           े
                                                      े
                                                                         ै

                                                                   ु
                          ँ
                                                           ु
                                                                                             ु
                                                                                           े

                    गोिपया कसम भी खाती ह िक उ ोंन बासरी नहीं चराई ह लिकन बाद म भोंह घमाकर हसन            े
                                            े
                                          े
                                  ँ
                                        े


                    लगती ह और बासरी दन स मना कर रही ह।
                                    ु

                                 े
                            े

                                                             ँ
                                         ु
                                                                      े
                                              ं
                                                                        े
                                                                                      े

                    िबहारी क दोह की उपय  प  यों म गोिपया एक द ू सर स बातचीत करत  ए कह रहीं ह िक ह        े
                                                                                                       ू
                                                                                       ै
                                    ृ
                                                      े
                                                    े
                                                                               ु
                                          े
                               े
                                                                         ु

                    सखी! हमन  ी क  स बात करन क लालच म उनकी मरली छपा ली ह, तािक उनका परा
                                                   े
                                                                   े
                                                े
                                                                      ु
                                   े
                                                                                            ृ


                     ान हम पर रह और हम उनस  म भरी बात कर क सख  ा  कर सक।  ी क  तरह-तरह
                                                                 े
                                                                        े
                                                                                                  ृ


                               े
                                                            े
                                                         ू
                                        े
                                          ु
                                                े

                                                    े
                    की कसम दकर उनस मरली क बार म पछत ह, लिकन व नहीं बताती। िफर जब  ी क  को
                                                                                               े
                                    ै
                                                                                  े
                                                                                                        े
                                                                            ै
                                                    ु


                                                          े
                                                              े
                    यकीन हो जाता ह िक गोिपयों को मरली क बार म नहीं पता ह, तब व अपनी भौह ट<+h कर क
                                                                                           ै
                                                                  े
                     ँ
                                                                                े
                                                                              ं
                                                    ृ

                    हसन लग जाती ह। इस कारण,  ी क  को िफर स गोिपयों पर सदह हो जाता ह।
                        े

                                      कहत ,नटत ,रीझत ,खीझत ,िमलत , खलत ,लिजयात।

                                                                ै
                                               े

                                                                   ु
                                             भर भौन म करत ह ननन ही सब बात।।

                                                      ं
                    कहत - कहना ,बात करना       नटत - इकार करना            रीझत - मोिहत होना
                                     ु
                    खीझत - बनावटी ग ा करना                                िमलत - िमलना

                     खलत -  स  होना            लिजयात - शमाना
                                                                               ु
                                                                           ै
                                                                                  े
                    भौन – भवन                                             ननन - न ों स  े
                       ं

                                                                       े
                                               ं

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                                                                                         े
                                                                                   ै
                                ु
                     सग-:   त दोहा हमारी िहदी पा  प क ' श 'स िलया गया ह। इसक किव िबहारी ह।
                                                          े
                                                                       ै

                                                                                     े
                    यह दोहा उनकी रचना 'िबहारी सतसई 'स िलया गया ह। इसम किव न नायक - नाियका की
                              ँ
                      ँ

                                                           ु
                                                                             ै

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                    आखों - आखों म चलन वाली बातचीत का स र  वणन िकया ह।
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