Page 2 - LESSON NOTES - DOHE - 1
P. 2

दोहा


                                                              ु
                                                           ु


                                            सोहत ओढ़ पीत पट  ाम ,सलौन गात।
                                                                      ु
                                                           ै
                                             मनौ नीलमिन -सल पर आतप परयौ  भात।।


                                                                             ु
                    सोहत - अ ा लगना            ओढ़ - ओढ़ कर                 पीत - पीला

                                                                             ै
                      ु
                    पट – कपड़ा                  गात – शरीर          नीलमिन-सल -- नीलमिण का पवत
                             ू
                         ु
                                                       ु
                    आतप – धप                    भात- सबह

                        ं
                                                  ं
                                                                          े

                                  ु
                                                                                      ै
                                                            ु
                                                                                            े
                     सग -:   त दोहा हमारी िहदी पा  प क ' श ' स िलया गया ह। इसक किव िबहारी
                                                                                              ृ

                                                                                         े
                                                              े

                                                                                                   े
                                                                          ै
                    ह। यह दोहा उनकी रचना 'िबहारी सतसई ' स िलया गया ह। इसम किव न  ी क  क  प


                                          ै
                    सौ य का वणन िकया ह।
                                                                 ँ

                                        े
                                                                    े
                                                  े
                                                                                ुं
                                                             े
                                                                                                       ै
                                                       ृ
                     ा ा  -: इस दोह म किव न  ी क  क सावल शरीर की सदरता का बखान िकया ह।
                                                                                 े
                                        ृ

                                                                                         े
                                                    े
                                                 ँ
                                             े
                             े
                                                                  े

                    किव कहत ह िक  ी क  क सावल शरीर पर पील व  ब त अ   लग रह ह। ऐसा लग रहा
                                                ः
                                                                             ँ
                                                           ू
                          े
                                                                                            े
                                                                                      ृ
                        ै
                                                                                                   े
                     ै
                                                                                                ँ

                    ह जस नीलमिण पवत पर  ात  काल की धप पड़ रही हो। यहा पर  ी क  क सावल शरीर
                                             े
                                                                            ै
                    को नीलमिण पवत तथा पील व  ,सय की धप को कहा गया ह।
                                                     ू


                                                            ू

                                                   े
                                                                          ृ
                                                                      ू
                                           कहलान एकत बसत अिह मयर ,मग बाघ।
                                                ु
                                             जगत तपोबन सौ िकयौ दीरघ -दाघ िनदाघ।।

                                                                                    े
                                                           े
                             ँ
                    अिह – साप                  एकत – इक                   बसत -रहत ह
                     ृ
                                                                              े
                                                                  ँ
                    मग – िहरण                  तपोबन - वह वन जहा तप ी रहत ह
                                    ं
                    दीरघ - दाघ -- भयकर गम   िनदाघ –  ी
                        ं
                                                                         े
                                  ु
                                                  ं
                                                                                            े
                                                                                      ै

                                                            ु
                     सग -:   त दोहा हमारी िहदी पा  प क ' श 'स िलया गया ह। इसक किव िबहारी
                                                              े
                                                                          ै

                                                                                               ु


                    ह। यह दोहा उनकी रचना 'िबहारी सतसई ' स िलया गया ह। इसम किव  ी  ऋत का वणन
                             ै
                    कर रहा ह।
                                                                       े
                                                                         े

                                      े

                                                   े
                                                                                                        े
                                                                                                       ै
                     ा ा -: इस दोह म किव कहत ह िक भीषण गम  स बहाल जानवर एक ही  थान पर बठ
                                                                                            े

                                                                             े
                                                                                                        े

                                                                            ै
                                                े

                                               ै

                                                                े
                                  ँ
                    ह। मोर और साप एक साथ बठ ह,िहरण और शर एक साथ बठ ह। किव कहत ह की गम  क
                                                                           े
                                                                                          े
                            ं
                                                                                              ु
                                                           ै
                                                         ै
                                                             े

                    कारण जगल तपोवन की तरह हो गया ह जस तपोवन म सार लोग आपसी  ष भला कर एक
                                                 े
                             े

                                                                           े
                                                                                                    े
                                                                                  ु
                                                       े
                                                                                                   ै

                                               े
                    साथ रहत ह उसी तरह गम  स बहाल य जानवर भी आपसी  ष को भला कर एक साथ बठ ह।
                                 े

                            े
                                                                                  ं
                                             ं
                                         ु
                                                                           ु
                                                                 े

                    िबहारी क दोह की   त प  यों म िबहारी जी न  ी  ऋत की भयकर गम  का वणन िकया
                                   े
                        े

                                                                                                  े

                     ै
                                                                       े
                                                                                       े
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                                                             ं
                                           ं
                    ह। व यहा कहत ह िक जगल म पड़ रही भयकर गम  क कारण एक-द ू सर की जान क  ास                े
                                    ै
                                                                                  ू
                                              ं
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                                                                             ु
                    जगली  जानवर  जस  बाघ,  साप,  मोर,  िहरन  आिद  आपसी  श ता  भलकर  तप  यों  की  तरह

                                         े
                           े
                    शाित स एकसाथ रह रह ह।
                      ं
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