Page 3 - LESSON NOTE - DOHE - 2
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गट भए   वजराज क ु ल, सुबस बसे  ज आइ ।
                                         मेर हरौ कलेस सब, कसव कसवराइ ॥
                                             े
                                                                         े
                                                                 े


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                                                                                            े
                                                                                     ै

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                                                                        े

                सग -:   त दोहा हमारी िहदी पा  प क ' श 'स िलया गया ह। इसक किव िबहारी ह।

                                                        े
                                                                     ै
               यह दोहा उनकी रचना 'िबहारी सतसई ' स िलया गया ह। इसम क व ,  ीक ृ  ण स अपन सभी
                                                                                                े
                                                                                                       े
               दुःख हरने क   वनती करत ह ।
                                              े
                ा ा -:  बहार  क दोह क    तुत पंि तय  म  क व  ीक ृ  ण स कहते ह   क आप
                                                                                         े
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               ने   वयं  ह   च  वंश  म   ज म   लया  और   ज  आकर  बस  गए।  जहाँ  उ ह   सब
               कशव कह कर बुलाते थ  ।  बहार  जी क  पता का नाम कशवराय था  । इसी लए
                                                                                   े
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                                                                      े
               क व  ी क ृ  ण को  पता समान मानते हए, उनस अपने सभी दुःख हरने क   वनती
                                                             ु
               करते ह ।

                                       जपमाला, छाप ,  तलक सर न एकौ कामु।
                                                                    ै
                                          मन काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु॥
                    ं
                                                                                     ै
                                                                                            े

                                                                        े

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                सग -:   त दोहा हमारी िहदी पा  प क ' श 'स िलया गया ह। इसक किव िबहारी ह।
                                                         े
                                                                       ै

                                                                                                            े
               यह दोहा उनकी रचना 'िबहारी सतसई ' स िलया गया ह। इसम क व न धा म क आडंबर  क
                                                                                       े
                थान पर स चे मन स ई वर क  भि त करने पर ज़ोर  दया ह।
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                                                                                       ै
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                ा ा -:  बहार  क दोह क    तुत पंि तय  म  क व न धा म क आडंबर  क  थान
                                                                                           े
                                                               े
               पर स चे मन से ई वर क  भि त करन पर ज़ोर  दया ह। उनक अनुसार अगर
                                                                                   ै
               आपका मन ि थर नह ं ह,  तो हाथ म  माला लेकर,  माथ पर  तलक लगाकर एवं
                                                                                 े
                                             ै
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               भगवान का नाम  लख व   पहनकर बार-बार राम-राम  च लाने से कोई फायदा
                                                                                                 ै
                                     े
               नह ं होगा। क व क अनुसार मन तो कांच क  तरह ह  कोमल होता ह,  जो इधर-
               उधर क  बात  म  भटकता रहता ह। अगर हम अपने मन को ि थर करक ई वर
                                                                                                     े
                                                        ै
               क  आराधना कर , तब ह  हम स चे भ त कहलाने क लायक ह ।
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