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चाहता है कक अतततथ अब चला जाए। लेखक अपने मन ही कहता है कक लेखक जानता है कक
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अतततथ को लेखक क घर में अच्छा लग रहा है। दूसरों क यहाँ अच्छा ही लगता है। अगर बस
चलता तो सभी लोग दूसरों क यहाँ रहते , पर ऐसा नहीं हो सकता। लेखक कहता है कक अपने
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घर की महत्ता क गीत इसी कारण गाए गए हैं। होम को इसी कारण स्वीट-होम कहा गया है कक
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लोग दूसर क होम की स्वीटनेस को काटने न दौडे। अतततथ को लेखक क घर में अच्छा लग रहा
है, लेखक अपने मन ही अतततथ से कहता है कक सोचो तप्रय , कक शराफ़त भी कोई चीज़ होती है
और गेट आउट भी एक वाक्य है, जो बोला जा सकता है। लेखक अपने मन ही अतततथ से कहता
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है कक अपने खराषटों से एक और रात गुँतजत करने क बाद कल जो ककरण अतततथ क तबस्तर पर
आएगी वह अतततथ क लेखक क घर में आगमन क बाद पाँचवें सूयष की पररतचत ककरण होगी।
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लेखक अतततथ से उम्मीद करता है कक सूयष की ककरणें जब चूमेगी और अतततथ घर लौटने का
सम्मानपूणष तनणषय ले लोगा। लेखक कहता है कक वह उसकी सहनशीलता की आखरी सुबह
होगी। उसक बाद भी अगर अतततथ नहीं जाएगा तो लेखक खड़ा नहीं हो पाएगा और लड़खड़ा
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जाएगा। लेखक अपने मन ही अतततथ से कहता है कक लेखक जानता है कक अतततथ देवता होता
है, पर आतखर लेखक भी मनुष्य ही है। लेखक कोई अतततथ की तरह देवता नहीं है। लेखक कहता
है कक एक देवता और एक मनुष्य अतधक देर साथ नहीं रहते। देवता दशषन देकर लौट जाता है।
लेखक अतततथ को लौट जाने क तलए कहता है और कहता है कक इसी में अतततथ का देवत्व
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सुरतक्षत रहेगा। लेखक अपने मन ही अतततथ से गुस्से में कहता है कक लेखक अपनी वाली पर
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उतर, उसक पूवष अतततथ को लौट जाना चातहए। लेखक अंत में दुखी हो कर अतततथ से कहता है
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उफ, तुम कब जाओग, अतततथ?