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SAI INTERNATIONAL SCHOOL
CLASS- IXth, SLRC
nd
2 LANGUAGE- HINDI
LESSON NOTE -2
शीषषक –तुम कब जाओगे, अतततथ
और आशंका तनमूषल नहीं थी…………………….. तुम कब जाओगे, अतततथ?
लेखक अपने मन ही कहता है कक उसकी पत्नी की आशंका तबना जड़ की नहीं थी , क्योंकक
अतततथ जाने का नाम ही नहीं ले रहा था। लॉण्ड्री पर कदए कपडेऺ धुलकर आ गए और अतततथ
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अब भी लेखक क घर पर ही था। लेखक अपने मन ही अतततथ से कहता है कक उसक भरी भरकम
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शरीर से सलवट पड़ी हुई चादर बदली जा चुकी है परन्तु अभी भी अतततथ यहीं है। अतततथ को
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देखकर फट पड़नेवाली मुस्कराहट धीर-धीर फीकी पड़कर अब कही गायब हो गई है। ठहाकों क
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रगीन गुब्बार, जो कल तक इस कमर क आकाश में उड़ते थे , अब कदखाई नहीं पड़ते। बातचीत
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की उछलती हुई गेंद चचाष क क्षेत्र क सभी कोनो से टप्पे खाकर कफर सेंटर में आकर चुप पड़ी है।
अब इसे न अतततथ तहला रहा है, न ही लेखक। लेखक अपने मन ही अतततथ से कहता है कक कल
से लेखक उपन्यास पढ़ रहा है और अतततथ कफल्मी पतत्रका क पन्ने पलट रहा है। शब्दों का लेन-
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देन तमट गया और चचाष क तवषय चुक गए। पररवार , बच्च, नौकरी, कफल्म, राजनीतत,
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ररश्तेदारी, तबादले, पुराने दोस्त, पररवार-तनयोजन, मँहगाई, सातहत्य और यहाँ तक कक आँख
मार-मारकर लेखक और अतततथ ने पुरानी प्रेतमकाओं का भी तशक्र कर तलया और अब एक
चुप्पी है। ह्रदय की सरलता अब धीर-धीर बोररयत में बदल गई है। भावनाएँ गातलयों का
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स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर अतततथ जा नहीं रहा। लेखक अपने मन ही अतततथ से कहता है कक
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ऐसा लगता है कक ककसी न कदखाई देने वाले गोंद से अतततथ का व्यतित्व लेखक क घर में तचपक
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गया है, लेखक इस भेद को सपररवार नहीं समझ पा रहा है। लेखक क मन में बार-बार यह प्रश्न
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उठ रहा है-तुम कब जाओग , अतततथ? कल लेखक की पत्नी ने धीर से लेखक से पूछा था ,"कब
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तक रटकगे ये?" लेखक ने कधे उचका कर कहा कक वह क्या कह सकता है ? लेखक की पत्नी ने
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अब गुस्से से कहा कक वह अब खखचड़ी बनाएगी क्योंकक वह खाने में हल्की रहेगी। लेखक ने भी
हाँ कह कदया।लेखक अपने मन ही कहता है कक अतततथ क सत्कार करने की उसकी क्षमता अब
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समाप्त हो रही थी। तडनर से चले थे, तखचड़ी पर आ गए थे। अब भी अगर अतततथ अपने तबस्तर
को गोलाकार रूप नहीं प्रदान करते अथाषत अब भी अगर अतततथ नहीं जाता तो हमें लेखक और
उसकी पत्नी को उपवास तक जाना होगा। लेखक अपने मन ही अतततथ से कहता है कक उन दोनों
का ररश्ता अब एक संक्रमण क दौर से गुज़र रहा हैं। अतततथ क जाने का यह चरम क्षण है। लेखक
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