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SAI INTERNATIONAL SCHOOL
CLASS- IX- SLRC
2nd LANGUAGE- HINDI
MIND MAP-2
शीषषक –स्मृतत
लेखक- श्रीराम शमाष
पाठ का सार
सन १९०८ की बात है ।ददसंबर का अतं व जनवरी का प्रारभ था । कडाक की ठड
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पड रही थी । बूूँदाबाूँदी क कारण सदी बढ गयी थी । लेखक उस समय झरबेरी से
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बेर तोडकर खा रहा था दक भाई का बुलावा आ गया । वह डरते- डरते घर में घुसा
। भाई साहब नें मक्खनपुर क डाकखाने में पत्र डाल आने का आदेश ददया । माूँ ने
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कछ चने भुनवाने को दे ददये । दोनो भाई अपना-अपना डंडा लेकर घर से चल पडे ।
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तचट्ठियो को टोपी मे रख तलया । वह अपने डंडे से कई साूँपो को मार चुका था,
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इसतलए उसे डंडे का बहुत सहारा था । दोनो उछलते- कदते चार फ़लाांग की दूरी
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पार करते हुए कएूँ तक जा पहुूँचे जहाूँ काला साूँप रहता था । लेखक अपने स्कल क
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सातथयों क साथ कए में पडे हुए साूँप पर ढला जरूर मारता था । ढला लगते ही
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साूँप फ़फ़कारने लगता । इस खेल में उसे और उसक सातथयों को बहुत आनंद आता
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था ।जैसे ही कआूँ सामने आया लेखक क मन में साूँप की फ़फ़कार का मजा लेने की
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बात आ गई । उसने ढला उठाया और टोपी को उतारते हुए कए मे ढला फ़क ददया ।
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टोपी क नीचे रखी तीनो तचट्ठियां कएूँ में जा तगरी । तचट्ठियां बहुत जरूरी थी ।
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