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SAI INTERNATIONAL SCHOOL

                                                           SLRC

                                    CLASS- IX,  2nd  LANGUAGE- HINDI
                                             LESSON NOTE-Smriti-2

                                                  लेखक- श्रीराम शमाा


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               कएँ क धरातल से....................................................... और भयानक न था ।


                लेखक धोती पकडकर नीचे ईतरा । ऄभी वह धरातल से चार-पाँच फ़ट उपर था कक ईसने
                                                                                    ु
               नीचे देखा तो वह घबरा गया साँप फ़न फ़लाये जमीन से एक हाथ उपर ईठा हुअ था । लेखक
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               बीचो-बीच ईतर रहा था । डंडा नीचे लटक रहा था । लेखक क ईतरने से डंडा हहल रहा था  ।
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               डंडे को हहलता हुए देखकर साँप अक्रमण की मुद्रा मे था । हजस प्रकार सँपेरा बीन बजाकर साँप
               को हखलाता है, और साँप गुस्सा होकर फ़फ़कारते हुए प्रहार करता है ठीक ईसी तरह साँप
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               तैयार था । लेखक को कएँ क ठीक बीचों-बीच ईतरना था । क्योकक लेखक का साजो-समान
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               बीच में ही था । कएँ का धरातल ऄहधक चौडा न था । आसहलए ईसे मारने क हलए नीचे ईतरना
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                                                                                          े
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               जरूरी था । ईसे ऄपना पाँव साँप से लगभग 4 फ़ट की दूरी पर रखना था  ।
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                      एकाएक ईसन ऄपन पाव कएँ क बगल पर टटका कदया । आससे हमट्टी नीच हगरी । साप न               े
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               फ़फ़कारा । लेखक क पाँव दीवार से हट गये । थोडी ही देर में ईसने ऄपने पाँव साँप क सामने
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               धरातल पर टटका कदये । ऄब दोनों अमन-सामने थे । वे एक दूसर को देख रहे थे । लेखक यह
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               देख रहा था कक साँप ककस और अक्रमण करगा । आतनी खुली जगह नही थी कक डंडे को घुमाया
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               जा सक । बस एक ही तरीका था कक साँप को कचल डाला जाए परतु ये खतरनाक था । लेखक
               ने देखा कक हचटियाँ नीचे पडी थी । ईसने डंडे से हचिी को सरकाना शुरू कर कदया । साँप ने
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               ऄपना फ़न पीछ कर हलया परतु जैसे ही डंडा हचिी क पास पहुँचा साँप ने डंडे पर जोर से डंक
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               मारा । डर क मार लेखक क हाथ से डंडा छट गया । वह खुद भी ईछल पडा । ईसने देखा कक
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               डंडे पर साँप क डंक क तीन चार हनशान थे । साँप ने मानो ऄपनी शहि का प्रदशान कर लेखक
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               को चेतावनी दी थी ।आस संघषा की अवाज सुनकर उपर खडे भाइ की चीख हनकल गयी । ईसने
               सोचा कक लेखक का काम तमाम हो गया, पर ईस ऄचानक अक्रमण से लेखक का साहस कछ
                                                                                                        ु
               बढ गया ।  दोबारा ईसी प्रकार  जब लेखक ने हलफ़ाफ़ा ईठाने का प्रयास ककया तो साँप ने वार
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               ककया और डंडे से हचपक भी गया ।  साँप का हपछ्ला भाग लेखक क हाँथो से छ गया जो काफ़ी
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