Page 2 - L N
P. 2

े
                                                                           ु
                                   ु
               समाज  म      ें   कछ  ि ग  ऐस          े   ह ैं    ज   बराई           क   रस िकर
               बतात  े     ह।         बराई        म  ें   रस िना          बरी       बात  ह।
                                                                            ु
                                                                  े
                              ैं
                                        ु
                                                                                               ै
                                    ु
               ििक  क  अनसार                  सच्चाई         आजभी  दद्वनया            म  ें    ह
                 े
                           े
                                                                                                 ै
                                                                          ु

                                                                                               ै
               इसक   कई उदहारण                 उन् ंन े           पाठ  म    ें    द्वदया     ह।
                     े
               ikB dk lkj
                                             े
               हजारी       प्रसाद        द्विवदी           िारा          द्विखित     ‘क्या     द्वनराश
                                                                ै
                                                       ं
                                     े
                                                                                   े
               हुआ  जाए ’ एक श्रष्ठ                द्वनबध      ह।     इस पाठ  क  िारा               ििक
                                                                                                      े
                                                         ु
                                                                           े
               दश  म     ें   उपजी  सामाद्वजक           बराइय ं           क  साथ -साथ
                 े
                                                                     े
                                                                                           ै
                                                                                                  े
               अछॎछाइय ं            क   भी  उजागर         करन  े   क  द्विए  कहत     े   ह।      व
                                                                                      ै
               कहत   े   ह  समाचार          पत् ं         क   पढ़कर        िगता  ह  सच्चाई             और
                          ै

                                                        ै
               ईमानदारी           ख़त्म      ह   गई ह।        आजआदमी  गणी            कमऔरद षी
                                                                             ु



               अद्वधक  द्वदि  रहा  ह।          आजि ग         की  सच्चाई         स  आस्था        द्वडगन े
                                         ै
                                                                                 े

                                े
                                                   ै
                        ै
               िगी  ह।        ििक  कहत       े   ह  द्वक  ि भ , म ह , काम -क्र ध               आद्वद  क
               शखिमान             कर हार  नहीं         माननी      चाद्वहए     बखि         उनका  डट कर
                                                                          ै
                                                           े
                                                       े
                                                                                                       े
               सामना       करना  चाद्वहए।          आग  व  कहत        े   ह  द्वक  हम  ें    द्वकसी    क
                                  ु
               हाथ  की  कठपतिी              नहीं     बनना      चाद्वहए।      कानन       औरधम    म     अिग
                                                                                 ू

                                                                                                           -

                                                                ू
                                              ु
               अिगह।           परन्त ु       कछ  ि ग  कानन             क   धम   म     स  बडा
                                                                                       े
                       ैं

                             ैं
               मानत  े     ह।
                                                                                         े
                                  ु
                                                                    ु
               समाज  म     ें   कछ  ि ग  ऐस       े   ह ैं    ज   बराई         क   रस िकर        बतात  े
                                                                                             े
                                                                                    े
                                                           ु
               ह।        बराई        म ें   रस िना        बरी      बात  ह।        ििक  क
                 ैं
                                                  े
                                                                            ै
                           ु
                   ु
               अनसार         सच्चाई        आजभी  दद्वनया          म ें    ह  इसक   कई उदहारण
                                                      ु
                                                                           ै
                                                                                    े

                                                           ै
               उन् ंन े           पाठ  म   ें   द्वदया    ह।

               LEARNING OBJECTIVE
               izLrqr ikB es ys[kd us vius fopkjks dks O;Dr fd;k gS A bl ikB ls
                               a
                                                            a
                                              a
               fon~;kFkhZ ;g le> ik,xs fd euq”; fd fopkj iz.kkyh fdl izdkj dk;Z
               djrh gS A fdlls] dSls vkSj dgk¡ ls izsj.kk ikdj gekjh ekufld /kkj.kk
               curh gS bldks Li”V fd;k gS A
               ikB dk lkj& i`”B la[;k & 34,35,36 (iBu dkS’ky)
   1   2   3   4