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समाज म ें कछ ि ग ऐस े ह ैं ज बराई क रस िकर
बतात े ह। बराई म ें रस िना बरी बात ह।
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ििक क अनसार सच्चाई आजभी दद्वनया म ें ह
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इसक कई उदहारण उन् ंन े पाठ म ें द्वदया ह।
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हजारी प्रसाद द्विवदी िारा द्विखित ‘क्या द्वनराश
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हुआ जाए ’ एक श्रष्ठ द्वनबध ह। इस पाठ क िारा ििक
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दश म ें उपजी सामाद्वजक बराइय ं क साथ -साथ
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अछॎछाइय ं क भी उजागर करन े क द्विए कहत े ह। व
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कहत े ह समाचार पत् ं क पढ़कर िगता ह सच्चाई और
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ईमानदारी ख़त्म ह गई ह। आजआदमी गणी कमऔरद षी
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अद्वधक द्वदि रहा ह। आजि ग की सच्चाई स आस्था द्वडगन े
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िगी ह। ििक कहत े ह द्वक ि भ , म ह , काम -क्र ध आद्वद क
शखिमान कर हार नहीं माननी चाद्वहए बखि उनका डट कर
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सामना करना चाद्वहए। आग व कहत े ह द्वक हम ें द्वकसी क
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हाथ की कठपतिी नहीं बनना चाद्वहए। कानन औरधम म अिग
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अिगह। परन्त ु कछ ि ग कानन क धम म स बडा
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मानत े ह।
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समाज म ें कछ ि ग ऐस े ह ैं ज बराई क रस िकर बतात े
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ह। बराई म ें रस िना बरी बात ह। ििक क
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अनसार सच्चाई आजभी दद्वनया म ें ह इसक कई उदहारण
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उन् ंन े पाठ म ें द्वदया ह।
LEARNING OBJECTIVE
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