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याम - ी क ण कज – yrkvks ls ifji.kZ
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चाकर – नौकर पीता बर - पील व
fxj/kkjh ykyk &d`”.k धेनु – गाय
रह यूँ - रह कर बारी – बगीचा
िनत – हमेशा पहर - पहन कर
दरसण – दशन तीरा – कनारा
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जागीरी -जागीर अधीरा - ाकल होना
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पद म कविय ी मीरा ी क ण क ित अपनी भि भावना को उजागर करते ए कहती ह क
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हे ी क ण, मुझ अपना नौकर बना कर रखो अथा त मीरा कसी भी तरह ी क ण क नजदीक
रहना चाहती है फर चाहे नौकर बन कर ही य न रहना पड़े A मीरा कहती ह क नौकर
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बनकर म बागीचा लगाउगी ता क सुबह उठ कर रोज आपक दश न पा सक । मीरा कहती ह क
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वृ दावन क संकरी गिलय म म अपने वामी क लीला का बखान क गी । मीरा का
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मानना है क नौकर बनकर उ ह तीन फायदे ह गे पहला - उ ह हमेशा क ण क दश न ा ह गे]
दूसरा- उ ह अपने ि य क याद नह सताएगी और तीसरा- उनक भाव भि का सा ा य
बढ़ता ही जायेगा ।
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मीरा ी क ण क प का बखान करते ए कहती ह क
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उ ह ने पीले व धारण कये ए ह ] सर पर मोर क पंख का मुकट िवराजमान है और गले
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म वैज ती फल क माला को धारण कया आ है । वृ दावन म गाय चराते ए जब वह
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मोहन मुरली बजाता है तो सबका मन मोह लेता है । मीरा कहती है क म बगीच क िबच
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ही ऊचे ऊचे महल बनाउगी और कसु बी साड़ी पहन कर अपने ि य क दश न क गी अथा त