Page 2 - L.N-Dasrath ke Do vardan-2
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तम तो राम को अपन बट स ज्यादा ही प्यार करती थी A तो इस तरह क वरदान क्ोां माग
रही हो A
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dSds;h अपनी एक चतर दासी मथरा क बहकाव म आकर राजा दशरथ स दो वचन माग..
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“राजा दशरथ न कई वष पहल कई कई द्वारा जान बचान क त्नलए ककई को दो वचन दन े
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का वादा त्नकया था” ककई न राजा दशरथ स अपन पहल वचन क रूप म राम को 14 वष ष
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का वनवास और दसर वचन क रूप म अपन पत्र भरत को अयोध्या क राज त्नसहासन पर
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बठान की बात कही।
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ककई की इन दोनोां वचनोां को सनत ही राजा दशरथ का त्नदल टट गया और वह
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ककई को अपन इन वचनोां पर दोबारा त्नवचार करन क त्नलए बोल, और बोल त्नक हो
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सक तो अपन यह वचन वापस ल ल। पर ककई अपनी बात पर अटल रही, तब ना
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चाहत हए भी राजा दशरथ म अपन त्निय पत्र राम को बलाकर उन्ह 14 वष क त्नलए
वनवास जान को कहा।
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