Page 2 - LESSON NOTES-ALANKAR
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शब्दालंकार
शब्दालंकार वे अलंकार हैं जो काव्य में शब्दों की ववशेष ध्ववन, लय या पुनरावृवि से
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सौंदयथ उत्पन्न करते हैं। यह अलंकार मुख्य ऱूप से शब्दों की रचना उनक चयन और प्रयोग
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पर आधाररत होते हैं। शब्दालंकार क माध्यम से कववता या गद्य को लयात्मक और आकषथक
बनाया जाता है।
अनुप्रास अलंकार
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वजस रचना में व्यंजनों की बार-बार आवृवत होने क कारण चमत्कार उत्पन्न हो ,वहा ं
अनुप्रास अलंकार होता है | व्यंजनों की आवृवत एक ववशेष क्रम से होनी चावहए |
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सौन्दयथवधथक व्यंजन शब्दों क प्रारभ ,मध्य या अंत में आने चावहए |
वणो की आवृवि से अनुप्रास अलंकार होता है। उदाहरण-
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िाऱू िन्द् की ििल चकरण –‘च’ वणथ की आवृवि से अनुप्रास अलंकार है।
कहत ,नटत,रीझत,खीझत-‘त’ वणथ की आवृवि से अनुप्रास अलंकार है।
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मधुर मृदु मंजल मुख मुसकान।- ‘म’ वणथ की आवृवि से अनुप्रास अलंकार है।
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सुरुवच सुवास सरस अनरागा।- ‘स’ वणथ की आवृवि से अनुप्रास अलंकार है।
यमक अलंकार
यमक अर्ाथत् ‘युग्म’। यमक अलंकार में एक शब्द की दो या अवधक बार आवृवि होती है और
अर्थ वभन्न-वभन्न होते हैं जैसे-
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कनक कनक त सौ गुनी मादकता अवधकाय। वा खाये बौराय नर वा पाये बौराय।।-
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यहााँ ‘कनक’ शब्द की दो बार आवृवि है। ‘कनक’ क दो अर्थ हैं- धतूरा तर्ा सोना, अतः
यहााँ यमक अलंकार है।
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वह बााँसुरी की धुवन कावन पर, कल कावन वहयो तवज भाजवत है।–
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यहााँ ‘कावन शब्द की दो बार आवृवि है। प्रर्म ‘कावन’ का अर्थ ‘कान’ तर्ा दूसर ‘कावन’ का
अर्थ ‘मयाथदा’ है, अतः यमक अलंकार है।
Learning outcome :
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इस पाठाश से चवद्यार्ी यह समझ पाएग –
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छात्र अलकार से पररचित और पहिान करग |
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अलकारों क े भदों को जानग |
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अलकार क े सौंदय से भाषा सौन्दय को बढ़ा पाएग |
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पद्य रिना में अलकारों का प्रयोग कर पाएग |
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चवचभन्न अलकारों में भद कर पाएग |
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छात्रों में क्रमबि चविार करन, भाव को अचभव्यक्त करन, तर्ा ज्ञानाजन क े प्रचत गहरी ऱूचि
उत्पन्न करन का प्रयास कर पाएग |
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पठन पाठन क े प्रचत रुचि उत्पन्न कर पाएग |
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