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तीनों लमलकर कई तरह क े काल्पतनक िेल िेलते र्थे और नई नई-कहातनयों का टहस्सा िनने
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में उन्ह मजा आता र्था। िासकर िे ऐसी कहातनयों में िो जाते र्थे, जजनम फकसी दूर दश की
रोमांिक यािा का जजक्र होता र्था। एंजेला को उन कहातनयों से िहत प्यार र्था, जजनम उसे
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ताजमहल, एफफल िॉिर या कोलोजजयम जैसी मशहर जगहों की सैर करनी होती। िह सपनों
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में ही दुतनया की सैर कर ललया करती र्थी, लफकन उसे त्रिल्क ु ल अंदाजा नहीं र्था फक उसकी
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यह कल्पनाएँ जल्द ही हकीकत िनने िाली ह। जल्दी ही, उसे एक ऐसा मौका लमलने िाला
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र्था, जजससे उसकी जजंदगी में एक नया अनुभि जुड़ने िाला र्था।
एंजेला की माँ एलसेंड्रा एक डॉक्यूमट्री फ़िल्म तनमााता र्थीं। उन्ह लंदन की त्रिटिश अकादमी से
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असम की पारपररक नृत्य कला पर एक डॉक्यूमट्री िनाने क े ललए आचर्थाक सहायता लमली र्थी।
मुजश्कल यह र्थी फक उन्ह यह काम लस़ि एक महीने में पूरा करना र्था। समय की कमी को
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दिते हए, उन्होंने एंजेला क े स्क ू ल से उसकी िसंत की छ ु ट्टियों को एक हफ़्ता िढाने की
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अनुमतत ले ली, ताफक एंजेला और उसक वपता िायन भी इस यािा में उनक सार्थ जा सक।
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एंजेला इस अिानक िनी यािा की योजना से हरान र्थी, लफकन उसकी माँ क े ललए यह जऱूरी
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र्था फक िे समय पर अपना प्रोजेक्ि पूरा कर। इसललए, पररिार ने जल्दी ही यािा की
तैयाररयाँ शुऱू कर दीं और जल्द ही एक रोमांिक सफर क े ललए तनकल पड़े।
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त्रिह नृत्य और उसक सार्थ मनाए जा रह इस भव्य उत्सि से एंजेला पूरी तरह डूि गई र्थी।
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सिक ु छ उसे फकसी जादुई दुतनया जैसा लग रहा र्था। इस अनुभि को और भी िास िना रह
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र्थे असम क े लजीज पकिान, जजनका उन्होंने पूर आनंद क े सार्थ स्िाद ललया।
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जि िे होिल िापस लौि, तो माँ ने मुस्क ु राते हए एंजेला से पूछा फक उसे त्रिह कसा लगा।
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एंजेला क े मन में कई तरह क े वििार उमड़ रह र्थ। उसने इस िात पर गौर फकया फक इस
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उत्सि और नृत्य, दोनों को ही कहा जाता है ’त्रिह‘, जो उसे िहत टदलिस्प लगा। र्थोड़ी दर
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सोिने क े िाद, उसने माँ से पूछा फक क्या संगीत और नृत्य लस़ि त्योहारों पर ही होते ह।
माँ ने समझाते हए कहा फक पूरी दुतनया में लोग अपनी भािनाओं को व्यक्त करने क े ललए
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संगीत और नृत्य का सहारा लते हैं, िासतौर पर भारत में, जहाँ यह परपरा िहत समृद्ध ह।
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उन्होंने यह भी िताया फक असम का त्रिह नृत्य न लस़ि ग्रामीण जनजीिन का टहस्सा है,
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िजल्क यह फसल लगाने, अनाज कािने और िसंत क े आगमन जैसे िास मौकों से भी जुड़ा
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हआ ह। माँ की िात सुनकर एंजेला को एहसास हआ फक संगीत और नृत्य लस़ि मनोरजन
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का साधन नहीं, िजल्क जीिन और प्रक ृ तत क े सार्थ गहराई से जुड़े होते ह।
शब्दार्था –
उत्सव – त्योहार, आनंद और िुशी का अिसर
हतप्रभ – हरान होना
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मांच – फकसी कायाक्रम या नृत्य प्रदशान क े ललए िना ऊिा स्र्थान
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मत्रमुग्ध – फकसी िीज को दि या सुनकर मोटहत हो जाना
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वाद््ांत्र – संगीत िजाने क े उपकरण, जैसे ढोल, िासुरी आटद