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दांडी माचण शजस नमक माचण, दांडी सत्याग्रह क े ऱूप में भी जाना जाता ह़ै जो सन् 1930 में
महात्मा गांधी क े द्वारा अंग्रेज सरकार क े नमक क े ऊपर कर लगाने क े कानून क े शवरुद्ध दकया
गया सशवनय कानून भंग कायणिम था। ये ऐशतहाशसक सत्याग्रह कायणिम गाूँधीजी us लोगों क े
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द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुरतटीय गाूँव दांडी तक प़ैदल यारा करक 06 अप्ऱैल
1930 को नमक हाथ में लेकर नमक शवरोधी कानून का भंग दकया गया था । भारत में अंग्रेजों
क े िासनकाल क े समय नमक उत्पादन और शविय क े ऊपर बड़ी मारा में कर लगा ददया था
और नमक जीवन क े शलए जऱूरी चीज होने क े कारण भारतवाशसयों को इस कानून से मुि
करने और अपना अशधकार ददलवाने हेतु ये सशवनय अवज्ञा का कायणिम आयोशजत दकया गया
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था। कानून भंग करने क े बाद सत्याग्रशहयों ने अंग्रेजों की लारठयाूँ खाई थी परतु पीछ नहीं मुड़े
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थे। 1930 को गाूँधी जी ने इस आंदोलन का चाल दकया । इस आंदोलन में लोगों ने गाूँधी क े
साथ प़ैदल यारा की और जो नमक पर कर लगाया था । उसका शवरोध दकया गया । इस
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आंदोलन में कई नेताओं को शगरफ्तार कर शलया गया। ज़ैस-सी राजगोपालचारी, पंशडत नहेऱू,
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आदद । ये आंदोलन पूर एक साल तक चला और 1931 को गांधी-इर्ववन क े बीच हुए समझौते
से खत्म हो गया । इसी आन्दोलन से सशवनय अवज्ञा आंदोलन की िुरुआत हुई थी । इस
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आन्दोलन नें संपूण देि में अंग्रेजो क े शखलाफ व्यापक जनसंघष को जन्म ददया था । गांधीजी क े
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साथ सरोजनी नायड ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व दकया A