Page 1 - LN-Dharm Ki Aad-2
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SAI INTERNATIONAL SCHOOL


                                                         SLRC

                                                      CLASS-IX,

                                     LESSON NOTE –DHARM KI AAD-2



               देश क   वाधीनता...............................................  आदमी बनो !

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                                                      े
               लेखक कहता है  क देश क   वत ता क िलए जो उ ोग  कया जा रहा था, उसका वह  दन
                                                      े
                                                   े
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               ब त बुरा था, िजस  दन  वत ता क    म  मु ला- मौलिवय  और धमाचाय  को  थान  दया

               जाना आव यक समझा गया। लेखक कहता है  क एक  कार से उस  दन हमने  वत ता क
                                                                                                     े
                                                                                                        े
                                                                                               ं
                                 े
               म , एक कदम पीछ हटकर रखा था अथात उस िदन हम ब त िपछड़ गए । अपने उसी पाप का फल


               आज  हम   भोगना  पड़  रहा  है।   य  क  आज  धम  और  ईमान  का  ही  बोल-बाला  है।  देश  को
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                वत ता क सं ाम ही ने मौलाना अ दुल बारी और शंकराचाय को देश क सामने दूसर  प म
                                                                                      े

                   ं
                                                                                                   े
               पेश  कया, उ ह  अिधक शि शाली बना  दया और हमार इस काम का फल यह  आ है  क इस
                                                                      े
                                                                                    ँ
                                                             े
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                                                                  े
                                                                ै
               समय, हमार हाथ  ही से बढ़ाई इनक  और इनक जस लोग  क  शि या हमारी जड़ उखाड़ने म
               लगी ह और देश म धम िवशेष से संबंध रखने वाले पागलपन, धोख  और ख़रापात का रा य



                                                                                 े


                थािपत कर रही ह । लेखक कहता है  क महा मा गांधी धम को सब से ऊचा  थान  थान देते ह ।
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                                                                           ं
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               वे एक कदम भी धम  क िबना चलने क िलए तैयार नह । परतु गाँधी जी क  बात पर अमल
                                                     े
               करने क पहले,   येक आदमी का कत   यह है  क वह भली-भाँित समझ ले  क महा माजी क
                                                                                                          े
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               धम  और उसक मायने  या है? लेखक समझाते  ए कहता है  क धम  से महा माजी का मतलब
                                                                                                े
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               था धम  ऊचे और उदार त व  ही का  आ करता है। और लेखक कहता है  क उनक मानने म
                कसे एतराज़ हो सकता है। गाधी कहते ह  क अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दाबने और नमाज़
                                             ं

               पढ़ने का नाम धम  नह  है (भाव यह ह िक धम  बाहरी पाखंडो या आडंबरो का नाम नह )। शु
                                                    ै
               आचरण और अ छा  वहार ही धम  क  प  िच न ह । दो घंट तक बैठकर पूजा क िजए और
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                                                                            े
                                                                                      े
                                                                                                  े
               पंच-व ा नमाज़ भी अदा क िजए, पर तु ई र को इस  कार  र त क दे चुकने क प ात्,
                                                                                             े
               य द आप अपने को  दन-भर बेईमानी करने और दूसर  को तकलीफ प ँचाने क िलए आज़ाद
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               समझत ह  तो, इस धम को, आगे आने वाला समय कदािप नह   टकने देगा। अब तो, आपका

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               पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपक  शराफ़त क  परख कवल आपका आचरण होगी। लेखक कहता
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                                                                                    ़
               है  क सबक क याण क  दृि  से, आपको अपन आचरण को सुधारना पडेगा और य द आप अपने
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