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को जानते हुए भी कक ब्राह्मण क वेश में ृआद्र है, ुऄपने कडल और कवच दान में दे कदए । ृआस दानवीरता को देख ृआद्र
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प्रसन्न हो गए और कणय से वरदान मााँगने को कहा । कणय ने ॅईनसे ‘शशि’ नामक शस्त् की मााँग की शजसे ृआद्र ने एक बार
प्रयोग करने को दे कदया ।
एक बार कणय परशुराम जी से ब्रहमास्त् सीखने ॅईनक ूअश्रम गये । परशुराम जी ने कणय को ब्राह्मण समझ शशष्य बना
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शलया । कणय ने ब्रह्मास्त् चलाना सीख शलया । एक कदन परशुराम जी कणय की जिंघा पर शसर रखकर सो रहे थे । एक
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काला भौंरा कणय की जााँघ क नीचे घुसकर काटने लगा परन्तु कणय ने जााँघ को शहलाया नही क्योकक ृआससे गुरू
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परशुराम जी की नींद टट जाती । जब कणय क खून से परशुराम जी का शरीर भीगने लगा तो ॅईनकी नींद टट गॄइ ।
ॅईन्होनें देखा कक कणय की जााँघ से खून शनकल रहा है, तो ॅईन्हें कणय की सहनशशि देखकर शक हुूअ । ॅईन्होनें कणय से
ॅईसकी ुऄसशलयत पूछी तो कणय ने बताया कक वह सूत पुत्र है । यह सुनकर परशुराम जी को क्रोध ूअया और ॅईन्होनें
कणय को श्राप कदया कक जब ॅईसे परशुराम जी द्वारा शसखाए शवद्या की जरूरत होगी तो वह ॅईसे याद नही ूअयेगी ।
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हुूअ भी यहीं, करूक्षेत्र क मैदान में ुऄजुयन क साथ युद्ध करते हुए कणय को शवद्या याद नही रही और वह मृत्यु को प्राप्त
हुए ।
शब्दाथय :
शब्द ुऄथय शब्द ुऄथय
प्रशतस्पधाय ककसी कायय में दूसर से ूअगे बढने की ृआछछा ुऄनुरि ूअसि, प्रेमयुि
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राजनीशतज्ञ राजनीशत सिंबिंधी बातो को जानने वाला शनीःशिंक सिंदेह रशहत
द्विंद युद्ध दो पुरूषो का परस्पर युद्ध प्रशतहहसा बदला लेना
कटनीशतज्ञ कपटनीशत से चलने वाला शवप्लव ॅईपद्रव, ुऄव्यवस्था
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Learning outcome –
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