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द्रोणाचायय हशततनापुर आकर अपनी पशत्न क भाई कपाचायय क यहााँ गुप्त ऱूप से रहने लगे । एक कदन
हशततनापुर क राजकमार नगर से बाहर गेंद खेल रहे थे । गेंद कएाँ में जा शगरी युशधशिर गेंद शनकालने क
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प्रयास में अपनी अाँगूठी भी शगरा बैठ । द्रोण ने अपनी धनुर्षिद्या से गेंद और अिंगूठी दोनो को शनकाल कदया ।
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राजकमारों ने यह बात जाकर जब भीष्म शपतामह को बताई तब उन्होने द्रोण को बुलाकर राज कमारो को
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धनुर्षिद्या शसखाने का अनुरोध ककया । द्रोण ने राजकमारों को धनुर्षिद्या शसखायी ।
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जब राज कमारो की शशक्षा पूरी हुई तब द्रोण ने गुऱू-दशक्षणा क रुप में उनसे पािंचाल नरश द्रुपद को कद कर
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लाने को कहा । गुऱू क कहे अनुसार पहले दुयोधन और कणय ने द्रुपद क राज्य पर आक्रमण ककया ककन्तु िे
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असफ़ल रहे । द्रोण ने अजुयन को भेजा । अजुयन ने राजा द्रुपद को कद कर क द्रोण क सामने पेश कर कदया ।
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द्रोण को द्रुपद की कही बातें याद थी । उन्होने आधा राज्य द्रुपद को िाशपस कर कदया । द्रोणाचायय ने अपने
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अपमान का बदला पूरा कर शलया । परन्तु द्रोण से बदला लेने का द्रुपद लक्ष्य बना चुक थे । द्रुपद क कठोर
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व्रत और तपतया से धृष्टद्यूम्न नाम का पुत्र तथा द्रोपदी नाम की कन्या हुई । द्रुपद क पुत्र धृष्टद्युम्न क हाथों ही
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द्रोणाचायय की मृत्यु हुई ।
शब्दाथय :
शब्द अथय शब्द अथय
जन्मािंध जन्म से अिंधा द्वेिभाि ईष्याभाि
अिहेलना अनादर, अपमान पाशलत रशक्षत, पाला हुआ
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कमिंत्रणा बुरी सम्मशत दुतसाहस अनुशचत साहस
ब्रह्मास्त् एक सिंहारक अस्त् जो मिंत्रो से चलता था शनष्कटक बाधा रशहत
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Learning Outcome – Nk= bl ikB ls cpiu dh fe=rk dks u Hkwydj
thou esa fdlh Hkh fLFkfr esa ikyu djsaxs A vkSj vgadkj ugha djsssaxs A