Page 1 - LN
P. 1
SAI INTERNATIONAL SCOOL
SLRC
GRADE – VII
ND
2 LANG. (HINDI)
ikB & nzks.kkpk;Z vkSj nzqin
Lesson Notes -
Learning objective –
nzks.kkpk;Z vkSj nzqin ds cpiu dh fe=rk dks u Hkwydj vius thou esa
lgh rjg ls mi;ksx djus ds ckjs esa crk;k x;k gS A vkSj /ku gksus ij
vgadkjh u gksus ds ckjs esa crk;k x;k gS A
izLrkouk&
egf”kZ nzks.kkpk;Z Hkjn~okt ds iq= Fkssss A ikapky ujs’k nzin Hkjn~okt ds vkJe
q
esa muds lkFkh o fe= FksA dHkh mRlkg esa jktdqekj nzqin us ;g dg fn;k
Fkk fd tc eSa ikapky ns’k dk jktk cuw¡xk ] rks vk/kk jkT; rqEgsa ns n¡wxk
A ysfdu ckn nzqin vgadkjh gksus ds dkj.k vius cpiu d okns dks Hkwy
s
x, A
ikB dk lkj &
े
आचायय द्रोण महर्षि भरद्वाज क पुत्र थे । पािंचाल नरश क पुत्र द्रुपद भी द्रोण क साथ ही भरद्वाज क आश्रम मे
े
े
े
े
शशक्षा प्राप्त कर रहे थे । दोनो शमत्र थे । कभी- कभी उत्साह मे आकर राजकमार द्रुपद द्रोण से कहते थे कक
ु
ृ
राजा बन जाने पर आधा राज्य उन्हें दे देंगें । शशक्षा समाप्त होने पर द्रोणाचायय ने कपाचायय की बहन से
े
शििाह कर शलया । उनका एक पुत्र हुआ शजसका नाम अश्वत्थामा रखा । द्रोण अपने पत्नी ि बेट क साथ
े
प्रसन्न थे, परन्तु िह गरीब थे । जब उन्हें पता लगा कक परशुराम जी ब्राह्मणो को अपनी सम्पशि बााँट रहे है,
े
िह भी दान हेतु गये । परशुराम जी ने द्रोण को देखकर कहा कक अब उनक पास किल शरीर और धनुर्षिद्या
े
े
बाकी है, िह उनक शलए क्या कर सकते है । द्रॊण ने परशुराम जी से धनुर्षिद्या सीखी ।
कछ समय बाद द्रुपद क शपता का देहान्त हो गया और द्रुपद राजा बन गया । द्रोण को जब यह बात पता
ु
े
चली तो िह द्रुपद से शमलने पहुाँचे, परन्तु द्रुपद ने द्रोण को पहचानने से मना कर कदया और कहा की शमत्रता
े
किल बराबर िालों में होती है । द्रोण ने द्रुपद को सबक शसखाने का शनश्चय ककया ।