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SAI INTERNATIONAL SCHOOL



                                                         SLRC


                                                   GRADE – VII



                                                ND
                                              2  LANG. (HINDI)


                              ikB & d.kZ dh pqukSrh


               Lesson Notes  -


               Learning objective –


               bl ikB esa d.kZ dh pqukSrh dks Lohdkj djds ikaMo ftl rjg mlls
               lkeuk djus ds fy, rS;kj gks tkrs gSa mlh rjg gesa Hkh viuh pqukSrh dks

               Lohdkj djus ds ckjs esa crk;k x;k gS A


               izLrkouk&


               dkSjoksa vkSj ikaMoksa us vL=&‘kL= dh f’k{kk igys d`ikpk;Z ls vkSj ckn esa
               nzks.kkpk;Z ls ikbZ A fon~;k esa fuiq.krk izkIr djus ds Ik’pkr ,d fo’kky

               lekjksg vk;ksftr fd;k x;k ftlesa lHkh jktdqekjksa us vius dkS’ky dk
               izn’kZu fd;k A


               ikB dk lkj &


                                                                                           े
                                                                                                   े
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               पािंडवों ने कपाचायय और द्रोणाचायय से ुऄस्त्-शस्त् की शशक्षा लेकर शनपुणता प्राप्त कर ली थी । ॅईनक कौशल क प्रदशयन
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                                                                                       ु
               क शलए समारोह का ूअयोजन ककया गया । सभी नगरवासी वहााँ मौजूद थे ।   सभी राजकमार ुऄपनी दक्षता का
               प्रदशयन कर रहे थे । तीर चलाने में ुऄजुयन से ज्यादा कोॄइ श्रेष्ट ना था । सभी ॅईसकी कला से दिंग थे तो वही दुयोधन का
                                                                             े
               मन ॄइष्या से जल रहा था । खेल चल रहा था तभी एक युवक ने ुऄजुयन को द्विंद क शलए ललकारा । वह युवक कणय था,
               परन्तु यह बात ककसी को पता नही थी । ृआस चुनौती को देखकर दशयकों में खलबली मच गयी, परन्तु दुयोधन को बहुत
                                                     े
               प्रसन्नता हुॄइ ओर ॅईसने कणय से पूछा कक वह ॅईसक शलए क्या कर सकता है । कणय ने कहा कक ुऄजुयन से द्विंद और दुयोधन
               से शमत्रता करना चाहता है । कती ने कणय को देखते ही पहचान शलया । वह भय और लज्जा से मूर्च्छछत हो गयी ।
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               शवदुर ने दाशसयों को बुलाकर ॅईन्हें जगाया । कपाचायय ने कणय से ॅईसका पररचय पूछा क्योकक मुकाबला बराबरी वालो
                                                   ृ
               से ककया जाता है । यह बात सुनकर कणय का शसर लज्जा से झुक गया । दुयोधन ने यह देखकर करण को ुऄिंगदेश का
                                                                                  ू
               राजा घोशषत कर कदया । रणभूशम मे ही कणय का राज्याशभषेक कर कदया गया । सूरज डब चुका था ृआसशलए समारोह
               समाप्त कर कदया गया ।
                                                                      े
               ृआस घटना क बहुत समय बाद एक बार ृआद्र बूढ ब्राह्मण क वेश म्रिं कणय क पास पहुाँचे और शभक्षा में ॅईनसे ॅईनक  े
                                                           े
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               जन्मजात कडल और कवच की मााँग की चूाँकक ॅईन्हें डर था कक युद्ध में कणय ुऄजुयन पर भारी न पड जाए । कणय ृआस बात
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