Page 3 - L.N-Dandak van main das Vars
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               Aराम,सीता और लक्ष्ण िनिास क े गलए गनकल पड़। रास्त में उन् ोंन कई असर ों का सहार
                                                                                                ु
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               गकया और कई पगित्र और अच्छ ल ि ों से भी िे गमल। िे िन  गित्रकट में एक कगटया
                             े
               बनाकर रहन लि। एकबार की बात  है लका  क े असर  राजा रािन की छ टी बहन
                                                                      ु
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               ‘kwiZ.k[kk ने रामक     दखा और िह म गहत  ह ियी। उसन  रामक  पान की क गशश की
                                                                              े
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               पर राम ने उत्तर गदया – मैं त  गििागहत हूँ मर भाई लक्ष्ण से पछ क े दख । तब ‘kwiZ.k[kk
                                                                                        े
                                                                          े
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               क े पास जाकर गििाह का प्रस्ताि रखन लिी पर लक्ष्णन साफ़   इनकार कर गदया। तब
                                                                                        े
               ‘kwiZ.k[kk ने क्र गधत ह कर माता सीता पर आक्रमण कर गदया। यह दखकर लक्ष्णन
                                                                                                        े
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               िाक से ‘kwiZ.k[kk का नाक काट गदया। कटी हुई नाक क े साथ र त हुए जब ‘kwiZ.k[kk
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               ने लका पहुिी त  सारी बात जानकर रािण क  बहुत क्र ध आया। उसन बाद रािण ने सीता
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               हरण की य जना बनायीों। य जना क े तहत रािण ने मारीि राक्षश क  गित्रकट क े कगटया क े
                                                                                                    ु
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               पास एक सन्दर गहरन क े रूप में भजा। जब मारीि क  माता सीता   ने दखा त  उन् ोंन
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                                                                                         े
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               श्रीराम से   उस गहरण क  पकड़क लान क े गलए कहा। सीता की बात क  मानकर राम उस
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               गहरण क  पकड़न उसक पीछ-पीछिए और लक्ष्ण क  आदश गदया की ि  सीता क
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               छ ड़कर कहीों ना जाए।
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