Page 3 - CBW-APATHITH GADYANSH
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प्रश् 4: गाधी जी ने लकन सामालजक बराइययों क े ल्कखलाि आवाज़ उठाई?
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प्रश् 5: गाधी जी कय राष्ट् र लपता क्ययों कहा जाता है?
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ठिम्नठिखित कहािी को ध्यािपवक पढ़कर 5 प्रश् तयार करक उत्तर सठहत ठिखिए \
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कहािी -1
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एक छयि से गाव में राधा नाम की एक लवधवा मलहला अपन इकलौत बि अजन क े साथ रहती थी। अजन
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बचपन से ही बहुत हयलशयार और महनती था, ललकन घर की आलथक ल्कस्थलत बहुत खराब थी। राधा लदन-
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रात खतयों में काम करक अजन की पढ़ाई का खच उठाती थी। राधा का सपना था लक उसका बिा बडा
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हयकर अिसर बन और उसका नाम रयशन कर। अजन भी मा क े सघर् कय दखकर हर पल कछ कर
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लदखान की ठान चका था। वय स्कल से लौित ही मा की मदद करता और लिर दर रात तक पढ़ाई करता।
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समय बीतता गया। अजन ने महनत से पढ़ाई की और अतत उस एक सरकारी नौकरी लमल गई। नौकरी
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लगत ही वह शहर चला गया, और राधा गाव में अकली रह गई। शऱू-शऱू में अजन ियन करता,
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लचलिया ललखता, पस भजता… ललकन धीर-धीर सब कम हय गया। राधा हर लदन दरवाज़ की ओर दखती,
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शायद अजन आएगा। पडयलसययों से कहती, “मरा बिा बहुत बडा अिसर बन गया है, बहुत काम रहता
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है, ललकन वय जल्दी आएगा।” ललकन वर्ों बीत गए, अजन नहीों आया।एक लदन अजन कय एक जऱूरी
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काम से गाव आना पडा। जब वह अपन घर पहुचा तय दखा, दरवाज़ पर एक बढ़ी औरत बठी थी, आख ें
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कमजयर, शरीर झुका हुआ, पर चहरा अब भी वही था — ममता से भरा हुआ।राधा ने बि कय दखा, आख ें
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भर आईों। “बिा, तू आ गया?” वय बयली। अजन लझझकत हुए उसक पास बठ गया। राधा ने कापत हाथयों
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से उसक लसर पर हाथ िरा और कहा, “मैं जानती थी, तू ज़ऱूर आएगा।” अजन की आखयों से आस बह
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लनकल। उसन मा का हाथ थामा और कहा, “मा, मझ माफ़ कर द े, मैं तझस दर हय गया था… ललकन
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आज समझ आया लक इस दलनया में तझस बडा कयई नहीों।” राधा मस्कराई और बयली, “बिा, मा का प्यार
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कभी खत्म नहीों हयता… चाह तम दलनया क े लकसी कयन में रहय, मा की दआए हमशा तर साथ ह।”
कहािी -2
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एक बार की बात ह। एक छयि से गाव में एक ईमानदार लडका रहता था — नाम था राज। उसक लपता
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एक लकसान थे और बहुत साधारण जीवन जीत थ। राज भी बचपन से ही सच्चाई और ईमानदारी में
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लवश्वास रखता था। गाव में एक अमीर ज़मीोंदार रहता था — सठ हररराम। उस अपन पस और ताकत पर
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बहुत घमड था। एक लदन उसक खत से कछ गहन चयरी हय गए। उसन गाव क े सबस गरीब लडकयों पर
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शक करना शऱू लकया — और लबना लकसी सबत क े, राज कय चयर कह लदया। सठ ने पचायत बलाई।
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सबक सामन उसन राज पर इल्जाम लगाया। राज ने साफ़ इनकार लकया, “मन कछ नहीों चराया। मैं कभी
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झूठ नहीों बयलता।” ललकन कयई उसकी बात पर लवश्वास नहीों कर रहा था। सठ का दबदबा इतना था लक
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पचायत भी झुकन लगी। राज की आखयों में आस थे, ललकन लहम्मत नहीों ििी। उसन कहा, “अगर मैं चयर
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सालबत हुआ, तय मझ सज़ा दीलजए… ललकन अगर मैं लनदोर् लनकला, तय क्या सठ कय भी सज़ा लमलगी?”
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गाव क े कछ बज़गों ने राज की बात मानी और दय लदन की मयहलत दी — सच जानन क े ललए। उन्हीों दय
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लदनयों में, गाव क े एक बच्च ने दखा लक सठ का ही नौकर चयरी लकए हुए गहनयों कय खत क े पास छपा रहा
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ह। जब उसस सख्ती से पछा गया, तय उसन कबल कर ललया लक चयरी उसी ने की थी — और सठ कय
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बचान क े ललए राज पर इल्जाम लगाया गया। परा गाव सन्न रह गया। पचायत ने राज से माफ़ी मागी और
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सठ पर जमाना लगाया। राज की सच्चाई ने पर गाव कय एक सबक लसखाया — लक झूठ चाह लजतना ज़यर
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लगाए, पर सच्चाई का सरज एक लदन ज़ऱूर चमकता ह।
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